त्रिफला गुग्गुलु – फायदे, निर्माण विधि एवं उपयोग का तरीका

त्रिफला गुग्गुलु (Triphala Guggulu)

त्रिफला गुग्गुलु अर्श, भगन्दर, पाइल्स एवं शोथ आदि के उपचार में प्रयोग ली जाने वाली आयुर्वेदिक औषधि (दवाई) है | यह आयुर्वेद की गुग्गुलु कल्पना के तहत बनाई जाती है | आयुर्वेद में विभिन्न कल्पनाओं (औषधि निर्माण की विधि या प्रकार) से दवा का निर्माण होता है | गुग्गुलु कल्पना में गुग्गुलु का प्रयोग अधिक मात्रा में किया जाता है, इसलिए इसे गुग्गुलु कल्पना कहते है |

त्रिफला गुग्गुलु
1. त्रिफला गुग्गुलु

जॉइंट्स में दर्द, गठिया, वातशूल, शरीर की मांसपेशियों में दर्द, शोथ, अर्श एवं भगंदर आदि रोगों के चिकित्सार्थ त्रिफला गुग्गुलु का प्रयोग किया जाता है, क्योंकि यह उत्तम दर्द शामक और एवं शोथहर दवाई है | गुग्गुलु कल्पना की अधिकतर औषधियों में त्रिफला और त्रिकटू का प्रयोग होता है | बाज़ार में त्रिफला गुग्गुलु विभिन्न कम्पनियों जैसे – पतंजलि, डाबर, बैद्यनाथ, श्री मोहता आदि की आसानी से उपलब्ध हो जाती है |

त्रिफला गुग्गुलु बनाने की विधि 

त्रिफला गुग्गुलु के निर्माण में निम्न औषध द्रवों का प्रयोग किया जाता है | (घटक द्रव)

  1. हरीतकी (हरड)
  2. विभिताकी (बहेड़ा)
  3. आमलकी (आंवला)
  4. पिप्पली 
  5. शुद्ध गुग्गुलु 

इन सभी औषध द्रवों से त्रिफला गुग्गुलु का निर्माण होता है | त्रिफला गुग्गुलु को बनाने के लिए हरीतकी, विभित्की, आमलकी और पिप्पली को समान मात्रा में लेते है एवं गुग्गुलु को पांचगुना लिया जाता है | जैसे अगर 1 से 4 क्रम तक की सभी औषधियां 5 – 5 ग्राम ली है तो गुग्गुलु को 25 ग्राम लेना चाहिए |

अब हरीतकी से लेकर पीपल तक सभी जड़ी – बूटियों को कूटकर महीन चूर्ण बना लिया जाता है | इस चूर्ण को शुद्ध गुग्गुलु में मिलाकर फिर से कुटा जाता है | भली – भांति कूटने के पश्चात जब यह योग मुलायम हो जाए तो इसकी 1 – 1 ग्राम की गोलियां बना कर छायाँ में सुखा ली जाती है | इस प्रकार से त्रिफला गुग्गुलु का निर्माण होता है | इस औषधि को योग्य वैद्य या फार्मासिस्ट की देख रेख में ही बनाया जाना चाहिए |

त्रिफला गुग्गुलु के सेवन मात्रा या उपयोग की विधि 

वेदना, शोथ, अर्श एवं भगंदर जैसे रोगों में इसकी 3 ग्राम की मात्रा गरम जल के साथ लेनी चाहिए | हमेशां किसी भी औषध को लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य लेना चाहिए | बिना चिकित्सक की सलाह के ली गई औषधि स्वास्थ्य की द्रष्टि से नुकसान देह भी हो सकती है | अत: योग्य चिकित्सक से परामर्श अवश्य लेना चाहिए |

त्रिफला गुग्गुलु के फायदे 

  • वेदना स्थापन अर्थात जोड़ो के दर्द, मांसपेशियों की पीड़ा एवं गठिया रोग में यह फायदेमंद होती है |
  • अर्श, भगंदर एवं पाइल्स में त्रिफला गुग्गुलु लाभदायक होती है |
  • शरीर से वात एवं कफ का शमन करती है |
  • सुजन में भी त्रिफला गुग्गुलु के गुणों के कारण आराम मिलता है |
  • व्रण में उपयोगी |
  • पाचन को सुधारती है |
  • शरीर की अतिरिक्त चर्बी को हटाती है , अत: मोटापे में भी अच्छे परिणाम देती है |
  • कब्ज की समस्या में भी इसका प्रयोग किया जाता है |

धन्यवाद |

 

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