पोटैशियम
पोटैशियम का शरीर निर्माण में अत्यंत ही महत्वपूर्ण स्थान है | यह तंतुओ एवं कोशिकाओं के निर्माण में अमूल्य योगदान देता है | Potassium की अधिकांस मात्र शरीर की विभिन्न कोशिकाओं में मौजूद रहती है | अल्प मात्रा में यह बाह्य कोशिए रसों में भी उपस्थित रहता है |
एक स्वस्थ व्यस्क व्यक्ति के शरीर में 250 ग्राम Potassium उपस्थित रहता है | जो निश्चित ही सोडियम की अपेक्षा लगभग ढाई गुना ज्यादा है | शरीर में कुल पोटैशियम का 90% विभिन्न उतकों एवं लाल रक्त कणिकाओ में ( RBC)मौजूद रहता है एवं शेष 10% बाह्य कोषीय पदार्थो में उपस्थित रहता है |
शरीर में पोटैशियम की दैनिक मांग
सामान्यत: किसी भी व्यक्ति के शरीर में Potassiumकी कमी नहीं होती है | प्रतिदिन 2 – 4 ग्राम Potassium भोज्य पदार्थो द्वारा हमारे शरीर को प्राप्त हो जाता है | परन्तु इसकी मात्रा हमारे द्वारा ग्रहण किया गये भोजन पर निर्भर करता है |
पोटैशियम प्राप्ति के साधन
प्रकृति में सभी प्रकार के भोज्य पदार्थो में पोटैशियम की प्रचुर मात्रा प्रदान की है | दाल , तेलबीज , दूध , दही , पनीर, अंडा , मांस, मछाली , मुर्गा , फल एवं सब्जियां पोटैशियम प्राप्ति के उत्तम साधन है | इसके अलावा मक्खन , ब्रेड और बिस्कुट आदि में भी अल्प मात्रा में Potassium प्राप्त होता है | इस सारणी से आप विभिन्न प्रकार के भोज्य पदार्थो में उपलब्ध Potassium की मात्रा को अच्छी तरह से समझ सकते है |
प्राणिज स्रोत – mg/100 ग्राम | वनस्पतीज – mg/100 ग्राम | सूखे मेवे – mg/100 ग्राम | फल और सब्जियां – mg/100 ग्राम |
गाय का दूध – 140 mg | गेंहू का आटा – 101 mg | काजू – 856 mg | सेव – 110 mg |
सम्पूर्ण दूध पाउडर – 1260 mg | जौ – 179 mg | बादाम – 425 mg | चेरी – 191 mg |
मुर्गी का अंडा – 129 mg | गेंहू सम्पूर्ण – 349 mg | मूंगफली – 686 mg | अंगूर – 158 mg |
मछली -304 mg | उड़द – 643 mg | संतरा – 200 mg | |
सुवर का मांस – 390 mg | मुंग दाल – 643 mg | नींबू – 104 mg | |
अरहर – 640 mg | पपीता – 234 mg | ||
मैसूर दाल – 402 mg | नाशपाती – 130 mg | ||
फुल गोभी – 295 mg | |||
पता गोभी – 233 mg | |||
गाजर – 341 mg |
पोटैशियम के कार्य
सोडियम एवं क्लोरिन की भांति Potassium भी शरीर में विभिन्न जैविक क्रिया कलापों को संपन्न करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है | जैसे –
1 . शरीर में अम्ल और क्षारता को संतुलित करना ( To Regulate Acid-Base Balance )
शरीर में Potassium कोशिकाओं में मुख्य धनायन के रूप में रहता है | जो अम्ल और क्षार के संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है | अगर हमारे शरीर की अम्लीयता और क्षारीयता दोनों संतुलित है तो शरीर बहुत सी व्याधियों से बच सकता है |
2 . शरीर के तरल पदार्थो के संतुलन में ( To Balance Body Fluids )
पोटैशियम शरीर के बाह्य कोषीय रसो में कार्य करता है | जिस प्रकार सोडियम कार्य करता है ठीक उसी प्रकार | Potassium शरीर के तरल पदार्थो को संतुलन करने का कार्य करता है |
3 . मांसपेशियों के संकुचन में सहायक ( Assist in Contraction of Muscles )
जब शरीर में मांसपेशिया संकुचित होती है तो Potassium पेशियों से निकलकर बाह्य कोषीय रसों में चला जाता है और जब इनका विमोचन होता है तो वे पुन: बाह्य कोषीय रसों में चला जाता है | इस प्रकार यह मंस्पेशियो के संकुचन में सहायक सिद्ध होता है |
4 . हृदय की धड़कन की गति को नियमित रखने में सहायक है |
5 . कोशिका द्रव्यों में परसारण दाब को नियमित रखने में सहायक
6 . कोशिकाओं के आन्तरिक PH को नियमित रखने में सहायक है |
7 . पोटैशियम नाडी तंतुओ के उतेजना के संहावन के लिए नितात जरुरी होता है |
8 . ग्लैकोजन के संश्लेषण में सहायक
ग्लैकोजन के संश्लेषण के लिए पोटैशियम अत्यंत ही महत्वपूर्ण है | जब 1 ग्राम ग्लैकोजन का संश्लेषण यकृत में होता है तो 14 mg Potassium जमा होता है |
9 . शरीर की वर्द्धि एवं विकास में सहायक
पोटैशियम कोषों के अंत: द्रव्यों में पाया जाता है | यह उतकों की वर्द्धि एवं निर्माण के लिए अत्यंत आवश्यक होता है | जब 6.25 ग्राम उतक प्रोटीन का संश्लेषण होता है तो 117 mg Potassium उतकों में जाकर जमा होता है |
शरीर में पोटैशियम की कमी होने के कारण
जब शरीर में पोटैशियम की कमी हो जाती है तो इसे “ह्य्पोकलेमिया” ( Hypokalemia ) कहते है | इस स्थिति में रक्त सीरम में Potassium की मात्रा सामान्य से अत्यंत ही कम हो जाती है | सामान्य स्थिती में रक्त सीरम में 20mg / 100 ml Potassium की मात्रा होनी चाहिए | आम तौर पर किसी भी व्यक्ति में Potassium की कमी नहीं होती लेकिन फिर भी इन निम्न कारणों के कारण शरीर में Potassium की कमी हो सकती है |
1 . एड्रिनल कार्तिकल हार्मोन के अत्यधिक श्रावण से
एड्रिनल कार्तिकल हार्मोन के अत्यधिक स्रवण से ” कुशिंग सिंड्रोम” रोग हो जाता है | इस स्थिति में शरीर से अधिक मात्रा में पोटैशियम का निष्काशन हो जाता है | फलत: शरीर में इसकी की कमी हो जाती है |
2 . मूत्रवर्धक के बार – बार प्रयोग करने से भी पोटैशियम की कमी हो जाती है |
3 . लम्बे समय तक डायरिया होने पर ( Prolonged Diarrhoea )
लम्बे काल तक डायरिया होने से पोटैशियम का निष्कासन मल से हो जाता है | फलत: शरीर में इसकी की कमी हो जाती है |
4 . बार – बार उल्टी होने से
बार – बार उल्टी होने से अमाशय से पाचक रसों का निष्काशन हो जाता है | फलत: शरीर में Potassium लवण की कमी हो जाती है |
5 . डायबिटिक कोमा में
डायबिटिक कोमा का इलाज इन्सुलिन हार्मोन से किया जाता है जिस कारण से शरीर से पोटैशियम बाहर निकल जाता है | अन्य स्वास्थ्य से सम्बन्धी जानकारियों के लिए आप हमारे ” Facebook Page – स्वदेशी उपचार ” को Like करले , ताकि आप तक हमारी सभी नयी अपडेट पंहुचती रहे | फेसबुक पेज का विजेट बॉक्स इसी पोस्ट के निचे स्क्रोल करने से मिल जावेगा | धन्यवाद |credit – डॉ बृंदा सिंह |