गोरोचन : गोरोचन का परिचय एवं औषध उपयोग / फायदे

गोरोचन : गोरोचन का परिचय एवं औषध उपयोग / फायदे

परिचय :
गोरोचन के बारे में सभी ने कुछ न कुछ जरुर सुना होगा या पढ़ा होगा | गोरोचन जान्तव द्रव्यों में सबसे विशिष्ट , उपयोगी एवं दुर्लभ औषधि है | गोरोचन  गाय के पिताशय में बनने वाली एक अस्मरी ( पत्थरी ) है | जिसे गाय की मृतावस्था के बाद प्राप्त की जाती है | लेकिन आजकल लोग पैसे के लालच में गायो का वध कर के गोरोचन निकाल लेते है , जो बिलकुल गलत एवं नाजायज है क्योकिं किसी जीव की हत्या कर के प्राप्त की गई औषधि या पूंजी सुख नहीं दुःख ही देगी | वैसे  यह प्रत्येक गाय में नहीं मिलती , जिस गाय में  यह पत्थरी बनती है उन्ही से प्राप्त की जाती है | आज कल बाजार में गोरोचन के नाम पर ठगी बढती ही जा रही है | पूजा – पाठ के लिए पंसारी की दुकान पर मिलने वाली गोरोचन का इस गोरोचन से दूर तक कोई सम्बन्ध नहीं है | बाजार में मिलने वाली गोरोचन का निर्माण गाय के पित्त में कैल्शियम और रंग देकर किया जाता है  |
गोरोचन के फायदे

गोरोचन की शुद्धता का परिक्षण 

गोरोचन असली है या नहीं इसका पता लगाने के लिए आप इन परीक्षाओ को आजमाए
1. गोरोचन का निर्माण क्रमश: गाय में पित्त के इक्कठा होने से होता है | अत: जब भी गोरोचन की जाँच करनी हो तो इसे तोड़ कर देखें इसमें अन्दर वृताकार रचनाएँ दिखाई पड़ेगी | इन वृतों को मेग्निफाई ग्लास से आसानी से देख सकते है | लेकिन अगर गोरोचन कृत्रिम है तो इसे तोड़ने पर इसमें ये वृत बिल्कुल भी नहीं मिलेंगी | कृत्रिम गोरोचन अन्दर से सपाट , बिना रेखाओं के होती है
इसके परिक्षण के तौर पर आप गोरोचन को पानी में घोल कर देखे , अगर पानी में आसानी से घुल गया तो यह कृत्रिम गोरोचन है, क्योकि शुद्ध गोरोचन पानी में नहीं घुलता | असली गोरोचन को चुने के पानी के साथ घिसने पर इसका रंग नहीं बदलता | अगर गोरोचन नकली है तो इसे चुने के पानी के साथ घिसने पर यह अपना रंग छोड़ देता है |

 

गोरोचन के गुण – धर्म एवं प्रभाव 

गोरोचन का रस तिक्त होता है | यह गुण में लघु , रुक्ष है एवं गोरोचन का वीर्य उष्ण होता है | पचने पर गोरोचन का विपाक कटु होता है | गोरोचन पित्त सारक होता है एवं यह वात एवं कफ का शमन करने वाला होता है |

गोरोचन का औषध प्रयोग 

गोरोचन बच्चो के श्वसनक ज्वर , बालशोष आदि रोगों में उपयोगी होता है | इसके अलावा शिरोरोग, रक्त की कमी , पीलिया, अपस्मार, उन्माद , अप्तंत्रक एवं आक्षेप में गोरोचन का प्रयोग किया जाता है |
गोरोचन की सेवन मात्रा – 125 mg से 500 mg तक प्रयोग कर सकते है |

बच्चो के मुबारकी रोग में गोरोचन का उपयोग 

अगर बच्चे को मुबारकी रोग हो गया हो अर्थात बच्चे का मल सुख के गांठ बन जाए , पेट फुला हुआ हो , पसलियों में दर्द हो , गालो पर सुजन हो , पेशाब पिला आ रहा हो एवं  बच्चे में कमजोरी आई हुई हो तो गोरोचन उड़द के दाने का आधा भाग ले कर घिस ले साथ में खैर की तीन ग्राम छाल का चूर्ण मिला ले और गाय के दूध के साथ रोज सुबह 3 दिन तक बच्चे को दे | लाभ होगा |

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