जिसे आप खरपतवार समझते है वो है गुणों की खान – पुनर्नवा

पुनर्नवा के लाभ 

जल्दी ही बरसात का मौसम आने वाला है | इस मौसम में कई आयुर्वेदिक औषधियां फिर से अपना विकास करेंगी जिसमे से एक है – पुनर्नवा | हम अपने अज्ञान के कारण इसे घास का ही रूप मानते है लेकिन जो थोडा बहुत औषधियों का ज्ञान रखते है उन्हें पता है की यह स्वास्थ्य के लिए अमूल्य औषधि है | आधुनिक चिकित्सा और विज्ञानं ने इसकी महता को रुला दिया है | भारत में तो यंहा तक स्थिति हो गई है की जो कृषि विज्ञानं पढ़ते है वे भी इसे एक खरपतवार मानते है | लेकिन अगर उन्होंने इसके फायदों के बारे में पढ़ा होता तो वो पुनर्नवा के औषधीय उपयोगो को जानकर हैरान हो जाते | 

punrnava ke labh

पुनर्नवा लगभग सम्पूर्ण भारत में पाए जाने वाली वनस्पति है , जो 2 से 3 तीन फीट लम्बी जमीं पर पसरी हुई रहती है | इसकी विशेषता है की यह गर्मियों में सुख जाती है और वर्षा ऋतू आते ही पुन: जीवित हो जाती है | इसके पते 1″ से 1.5″ लम्बे गोल और मृदु एवं रोमश होते है | पुनर्नवा पर आने वाले फुल गुलाबी और श्वेत वर्ण के होते है जो बिना किसी वृंत के ही सीधे तने से जुड़े हुए रहते है | फूलो के रंग और तने के रंग के आधार पर यह दो प्रकार की होती है – 1 . सफ़ेद पुनर्नवा और 2. लाल या नील पुनर्नवा |
पुनर्नवा का रसायनीक संगठन देखा जाए तो इसमें पुनर्नवी क्षार, पोटेशियम नाइट्रेट , सल्फेट, क्लोराइड, नाइट्रेट और क्लोरेट आदि होते है जो इसे बेहद उपयोगी बनाते है | पुनर्नवा के गुण- धर्म  देखे  तो यह रस में मधुर, तिक्त, कषाय | इसके गुण लघु , रुक्ष | पुनर्नवा का वीर्य – उष्ण और विपाक में मधुर होती है | पुनर्नवा त्रिदोषहर , मूत्रल , लेखन, शोथ्घ्न, हृदय को बल देने वाली और विष के असर को कम करने वाली है |

पुनर्नवा के औषधीय उपयोग 

1. पुनर्नवा है शोथहर 

अगर किसी कारण से शारीर में शोथ हो जाए तो पुनर्नवा के साथ कालीमिर्च मिलाकर काढ़ा बना ले और नियमित सेवन करे | यह शरीर में कंही भी स्थित शोथ को हटा देगा एवं मोटापे में भी यह काढ़ा लाभदायी है | इसके सेवन से शरीर में स्थित अनावश्यक चर्बी गलती है |

2. हृदय रोगों में पुनर्नवा के उपयोग 

हृदय दौर्बल्यता में पुनर्नवा के साथ सोंठ, कुटकी और चिरायता मिलकर इसका काढ़ा बनावे | सुबह – शाम नित्य प्रयोग से आपके हृदय को बल मिलता है और हृदय से सम्बंधित बीमारियों में लाभ मिलता है |

3. पुनर्नवा का पीलिया रोग में उपयोग 

पीलिये में पुनर्नवा पूर्णतया कारगर औषधि है | अगर आपको पीलिया जकड ले तो घबराये नहीं बस पुनर्नवा का इस्तेमाल करे आपको जल्दी ही पीलिये से निजात मिलेगी | पीलिये में पुनर्नवा के पंचांग का चूर्ण शहद या मिश्री के साथ नित्य ले या आप इसका काढ़ा बना कर भी इस्तेमाल कर सकते है |

4. पुनर्नवा करता है सम्पूर्ण शरीर की सफाई 

आयुर्वेद के आचार्य राजनिघन्तु ने इसे मूत्रल औषधि माना है | क्योकि पुनर्नवा मूत्रवह: नाड़ियो पर अपना पूर्ण प्रभाव डालती है जिसके कारण यह सामान्य से दुगना पेशाब लगवाती है और यही कारण है की यह शरीर की सफाई भी पूर्णता से करती है | इसका यह गुण इसमे उपस्थित पोतेसियम नाइट्रेट के कारण होता  है | 

5. आँखों के रोगों में पुनर्नवा का उपयोग 

आँखों में सुजन हो तो पुनर्नवा की जड़ को देशी घी में घिसले और इसे आँखों पर लगावे , आँखों का सुजन जल्दी ही मिट जायेगा | अगर आंखे लाल रहती हो तो इसकी जड़ को शहद के साथ घिस कर आँखों में लगावे आँखों की लाली दूर होगी | इसके आलावा जिनकी आँखे कमजोर हो या रतोंदी का रोग हो वे भी इसकी जड़ को घी में घिस कर इस्तेमाल करे , जल्दी इन रोगों में आपको लाभ मिलता है |

6. पुनर्नवा का उपयोग दमा और कफ रोगों में 

पुनर्नवा उत्तम कफ शोधक औषधि है | अगर शरीर में कफ परेशान करता हो तो पुनर्नवा की जड़ का चूर्ण 3 या 5 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ चाटें जल्दी ही कफ अपनी जगह छोड़ देगा और शरीर से बाहर निकल जावेगा | दमा या अस्थमा की शिकायत में इसकी जड़ के साथ आधी मात्रा में हल्दी को मिला कर सेवन करे | दमे में इसका इस्तेमाल अच्छा लाभ देता है |

7. गठिया रोग में पुनर्नवा का प्रयोग 

गठिया रोग में आप पुर्ननवा का काढ़ा बना कर इस्तेमाल कर सकते है , जोड़ो में दर्द से निपटने के लिए अरंडी के तेल में पुनर्नवा के पंचांग को कूट पिस कर डाले और इसे अच्छी तरह पक्का ले | जब तेल में स्थित पुनर्नवा के अंग जल कर काले हो जावे तो इसे उतार कर ठंडा कर ले और इस तेल का इस्तेमाल अपने जॉइंट्स पर करे | गठिये के कारण होने वाले दर्द में यह अच्छा लाभ देता है | 

8. त्वचा रोगों में पुनर्नवा के लाभ 

त्वचा रोगों में भी आप इसके जड़ को तील के तेल में पका कर इस तेल का प्रयोग अपने संक्रमित त्वचा  पर करे, लाभ मिलेगा | 

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