12 महीनों के आहार नियम – जिनका पालन करके आप स्वस्थ रह सकते है

12 महीनों के आहार नियम

वर्तमान समय की भाग दौड़ भरी जिंदगी में हम आहार के नियमो का पालन बिल्कुल भी नहीं करते और परिणाम स्वरुप हमारा शरीर बीमारियों के पकड़ में आ जाता है | इस में हम दोषी खुद है लेकिन दोष देते है बदले हुए मौसम को ! अब कोई व्यक्ति सर्दी के मौसम में ठंडी वस्तुओं का प्रयोग करेगा तो निश्चित ही वह बीमार तो पड़ेगा ही | आयुर्वेद में मौसम अनुसार आहार ग्रहण के नियम बताये गए है जिनका पालन करके आप निरोगी रह सकते है |

ऋतू अनुसार आहार के नियम
आज की इस पोस्ट में हम आयुर्वेद में बताये गए 12 महीनो के आहार नियम बताएँगे जिनका पालन करके आप स्वस्थ रह सकते है |

आहार के नियम 12 महीनों अनुसार

➤ चैत्र ( मार्च-अप्रैल) – इस महीने में गुड का सेवन करे क्योकि गुड आपके रक्संचार और रक्त को शुद्ध करता है एवं कई बीमारियों से भी बचाता है | चैत्र के महीने में नित्य नीम की 4 – 5 कोमल पतियों का उपयोग भी करना चाहिए इससे आप इस महीने के सभी दोषों से बच सकते है | नीम की पतियों को चबाने से शरीर में स्थित दोष शरीर से हटते है |
➤ वैशाख ( अप्रैल – मई )- वैशाख महीने में गर्मी की शुरुआत हो जाती है | बेल पत्र का इस्तेमाल इस महीने में अवश्य करना चाहिए जो आपको स्वस्थ रखेगा | वैशाख के महीने में तेल का इस्तेमाल बिल्कुल न करे क्योकि इससे आपका शरीर अस्वस्थ हो सकता है |
➤ ज्येष्ठ ( मई-जून) – भारत में इस महीने में सबसे अधिक गर्मी होती है | ज्येष्ठ के महीने में दोपहर में सोना स्वास्थ्य वर्द्धक होता है , ठंडी छाछ , लस्सी, ज्यूस और अधिक से अधिक पानी का इस्तेमाल करे | बासी खाना , गरिष्ठ भोजन एवं गर्म चीजो का इस्तेमाल न करे | इनके इस्तेमाल से आपका शरीर रोग ग्रस्त हो सकता है |
➤ अषाढ़ (जून-जुलाई) – आषाढ़ के महीने में आम , पुराने गेंहू, सत्तु , जौ, भात, खीर, ठन्डे पदार्थ , ककड़ी, पलवल, करेला, बथुआ आदि का इस्तेमाल करे व आषाढ़ के महीने में भी गर्म प्रक्रति की चीजों का इस्तेमाल करना आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है |
➤ श्रावण (जलाई-अगस्त) – श्रावण के महीने में हरड का इस्तेमाल करना चाहिए | श्रावण में हरी सब्जियों का त्याग करे एव दूध का इस्तेमाल भी कम करे | भोजन की मात्रा भी कम ले – पुराने चावल, पुराने गेंहू , खिचड़ी, दही एवं हलके सुपाच्य भोजन को अपनाएं |
➤ भाद्रपद ( अगस्त-सितम्बर) – इस महीने में हलके सुपाच्य भोजन का इस्तेमाल कर | वर्षा का मौसम् होने के कारण आपकी जठराग्नि भी मंद होती है इसलिए भोजन सुपाच्य ग्रहण करे | इस महीने में चिता औषधि का सेवन करना चाहिए |
➤ आश्विन ( सितम्बर-ओक्टुबर) – इस महीने में दूध , घी, गुड़ , नारियल, मुन्नका, गोभी आदि का इस्तेमाल कर सकते है | ये गरिष्ठ भोजन है लेकिन फिर भी इस महीने में पच जाते है क्योकि इस महीने में हमारी जठराग्नि तेज होती है |
➤ कार्तिक ( ओक्टुबर-नवम्बर) – कार्तिक महीने में गरम दूध, गुड, घी, शक्कर, मुली आदि का उपयोग करे | ठंडे पेय पदार्थो का इस्तेमाल  छोड़ दे | छाछ, लस्सी, ठंडा दही, ठंडा फ्रूट ज्यूस आदि इस्तेमाल न करे , इनसे आपके स्वास्थ्य को हानि हो सकती है |
➤ अगहन ( नवम्बर-दिसम्बर) – इस महीने में ठंडी और अधिक गरम वस्तुओ का इस्तेमाल न करे |
➤ पौष ( दिसम्बर-जनवरी) – इस ऋतू में दूध , खोया एवं खोये से बने पदार्थ, गौंद के लाडू, गुड़ ,तील, घी, आलू, आंवला आदि का इस्तेमाल करे , ये पदार्थ आपके शरीर को सेहत देंगे | ठन्डे पदार्थ, पुराना अन्न, मोठ, कटु और रुक्ष भोजन का इस्तेमाल न करे |
➤ माघ (जनवरी-फ़रवरी) – इस महीने में भी आप गरम और गरिष्ठ भोजन का इस्तेमाल कर सकते है | घी , नए अन्न, गौंद के लड्डू आदि का इस्तेमाल कर सकते है |
➤ फाल्गुन (फरवरी-मार्च) – इस महीने में गुड का इस्तेमाल करे | सुबह के समय योग एवं स्नान का नियम बना ले | चने का इस्तेमाल न करे |
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