पुष्कर मूल के स्वास्थ्य लाभ – Health benefits of Pushkar mul ( Inula racemosa)

पुष्कर मूल के स्वास्थ्य लाभ – Health benefits of Pushkar mul ( Inula racemosa)

आयुर्वेदिक चिकित्सा में इसे कुठ के नाम से भी जानते है | यह कुष्ठ के सामान आकृति वाला होता है | भारत में यह कश्मीर में अधिकतर उगता है | इसके क्षुप की ऊंचाई 4 फीट तक होती है , पते  लम्बे और नुकीले होते है एवं इसके फुल ऊपर से चक्राकार होते है जो गाजव के सामान होते है | सर्दियों में कश्मीर में बर्फ़बारी होने से इसका पौधा नष्ट हो जाता है लेकिन कंद ( जड़ ) सुरक्षित रहती और वही आयुर्वेद में औषध उपयोग में ली जाती है |
inula racemosa

पुष्कर मूल के गुण धर्म 
पुष्कर की जड़ रस में कटु और तिक्त , गुणों में तीक्षण , लघु और दीपन होती है , इसका वीर्य – उष्ण और विपाक कटु होता है |
रोग प्रभाव 
यह वात और कफशामक होती है | इसके साथ ही श्वास , कास , हिक्का, महिलाओ में मासिक धर्म न आना शोथ हर और दर्द निवारक होती है | 
प्रयोज्य अंग – मूल 
मात्रा – 300 mg से 1.5 ग्राम तक |
विशिष्ट योग – पुष्कर मूल चूर्ण , पुष्करादी चूर्ण , पुष्कर मूल हिंगुल आदि |

पुष्कर मूल के स्वास्थ्य लाभ / Health benefits of Pushkar mul – Inula Racemosa निचे क्रम से दिए गए है –

  1. श्वास रोग में पुष्कर मूल के चूर्ण को गाय के घी के साथ सेवन करवाने से अच्छे परिणाम मिलते है |
  2. पुष्कर मूल चूर्ण , अतिस चूर्ण दोनों सामान मात्रा में शहद के साथ चाटने से भी अस्थमा रोग में आराम मिलता है |
  3. दांतों के रोग जैसे पायरिया , दांतों की जडो का कमजोर होना, मसुडो में पिव आदि पड़ने पर – पुष्कर मूल के चूर्ण को दांतों पर मलने से लाभ मिलता है |
  4. त्वचा सम्बन्धी विकारो में भी पुष्कर मूल का बेहतरीन उपयोग किया जा सकता है – फोड़े फुंसियो पर अगर पुष्कर मूल के चूर्ण को पानी में मिलकर लगाने से जल्दी फोड़े फुंसी बैठ जाते है |
  5. पुष्कर मूल में भी कपूर की तरह एक पदार्थ होता है अत: पुष्कर की जड़ को घिस कर सिरदर्द में सिर पर लगाया जाये तो तुरंत रहत मिलती है |
  6. संधिवात या जोड़ो के दर्द में पुष्कर मूल , सैंधा नमक , महुआ , पिप्पल और हरड की छल को 10 – 10 ग्राम की मात्रा में लेकर पिस ले | इसे 1 लीटर तिल के तेल में डालकर पक्का ले , तेल के ठंडा होने पर शीशी में भर ले और दर्द वाले जॉइंट्स पर इस्तेमाल करे | दर्द से छुटकारा मिलेगा |
  7. यकृत के बढ़ने पर 250 mg पुष्कर मूल का चूर्ण सुबह – शाम सेवन करने से बाधा हुआ यकृत ठीक हो जाता है |
  8. पुष्कर मूल चूर्ण , कपूर , कमलगट्टा, सोंठ और हरेड इन सभी को बराबर की मात्रा में लेकर इनका चूर्ण बना ले | सुबह – शाम 300 mg की मात्रा में सेवन करे – दमा रोग में पूर्ण लाभ मिलेगा |
धन्यवाद |

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