Dysmenorrhoea (कष्टार्तव ) का आयुर्वेदिक इलाज

Dysmenorrhoea  (कष्टार्तव ) 

महिलाओ में मासिक धर्म के समय होने वाले दर्द को कष्टार्तव ( Dysmenorrhoea ) कहते है | महिलाओ के शरीर में चक्रीय हार्मोन्स में होने वाले 
बदलावों की वजह से शरीर के अन्दुरुनी हिस्से से नियमित तौर पर होने वाले खुनी स्राव को मासिक धर्म कहते है | सामान्यतया मासिक धर्म की अवधि 
28 से 30 दिनों की होती है | इस मासिक धर्म के समय कई महिलाओ को बहुत पीड़ा का सामना करना पड़ता है जिसे Dysmenorrhoea कहते है 
आयुर्वेद की भाषा में इसे कष्टार्तव कहते है |

कष्टार्तव दो शब्दो से मिल कर बना है – कष्ट + आर्तव ( मासिक स्राव ) | जिस मासिक स्राव के आने के दौरान महिला को असहनीय पीड़ा होती हो 
वही कष्टार्तव ( Dysmenorrhoea ) कहलाता है |

कष्टार्तव का इलाज

यह तीन प्रकार का होता है –

1. आकुंचनजन्य कष्टार्तव ( Spasmodic Dysmenorrhoea )-  13  से 18 वर्ष की उम्र में ज्यादा होता है कारण है मासिक धर्म की 
शुरुआत या गर्भाशय का संकोच |

2. झिल्लीजन्य ( Membranous Dysmenorrhoea) – गर्भाशय के अन्दर की अंत:कला झिल्ली गर्भाशय से बहार निकल जाती है 
और मासिक स्राव के साथ टुकड़े – टुकड़े बाहर निकालती है जिसके कारण दर्द होता है |

3.रक्ताधिक्य कष्टार्तव ( Congenital Dysmenorrhoea )- मासिक स्राव के रक्त में अस्वभाविक बढ़ोतरी के कारण 

आयुर्वेदिक औषध व्यवस्था –

1. रज: परिवर्तनी वटी – 2 *3 ( दिन में तीन बार )

2. पुष्यानुग चूर्ण        –  3 ग्राम 
   गोदंती भष्म         –  250 mg
   पुनर्नावादी मनदुर     –  250 mg 
   शतावरी चूर्ण          –   3 ग्राम 

सभी को 1*3 पानी के साथ 

भोजन के बाद 

अशोकारिष्ट 4 चम्मच * 2 ( समान जल के साथ )

रात्रि में सोते समय 

– त्रिफला चूर्ण 3 ग्राम ( गुनगुने जल के साथ )

– योनी में पिचु – हिंग्वादी तेल / चन्दनबला लक्षादी तेल से |

नोट – यह जानकारी आपके निजी ज्ञानवर्धन के लिए है | औषधियों का सेवन अपने चिकित्सक की देख रेख में करे |

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