त्रिफला चूर्ण : हम जो कुछ खाते – पिते है , उसका प्रभाव हमारे मन , शरीर और आचार – विचार पर पड़ता है | इसलिए प्रकृति ने हमारे शरीर के लिए कुछ नियम कायदे बनाये है जिनका हम पालन कर के स्वस्थ और निरोगी रह सकते है |
कुछ घरेलु उपचार हमें निरंतर डॉ. से दूर रख सकते है – जैसे त्रिफला चूर्ण जिसे आयुर्वेद में सबसे ऊपर जगह मिली है | इसलिए आज हम इस post में त्रिफला चूर्ण के फायदे और उसको बनाने की यथावत विधि जानेंगे |
त्रिफला चूर्ण बनाने की विधि
जैसा की नाम से ही विधित होता है – तीन फलों का मिश्रण अर्थात त्रिफला मुख्या रूप से तीन फलों का ही मिश्रण होता है | हरेड, बहेड़ा और आंवला इन फलों के समान मात्रा में मिले हुए चूर्ण को त्रिफला कहते है |
अगर हरड , बहेड़ा एवं आमला इन तीनो को समान मात्रा या 1 : 2 : 3 में मिलाया मिलाया जाए तो त्रिफला का निर्माण होता है
कई जगह इनके साथ पिप्पली एवं सैन्धव लवण मिलाकर त्रिफला बनाने के बारे में बताया गया है| वैसे दोनों ही विधि सही है एवं फायदेमंद है
यहाँ हमने हरड,बहेड़ा,आंवला,पिप्पल एवं सैन्धव लवण के साथ त्रिफला चूर्ण बनाने की विधि का वर्णन किया है |
हरड , बहेड़ा , आंवला , छोटी पीपल और सैन्धव नमक इन सब को बराबर मात्रा में ले कर इनको कूट पीसकर चूर्ण बना ले | इस प्रकार आपका त्रिफला चूर्ण बन जावेगा |
दूसरी विधि :- हरीतकी, विभीतकी एवं आमलकीइन तीनों को 1:2:3 की मात्रा में लेकर इनका महीन चूर्ण बना लें | इस प्रकार से तैयार चूर्ण भी त्रिफला चूर्ण कहलाता है |
त्रिफला चूर्ण के फायदे
त्रिफला चूर्ण के आयुर्वेद में बहूत से फायदे है | यह प्राकृतिक चूर्ण मनुष्य के लिए रोगनाशक और स्वास्थ्य प्रदान करने वाली महत्वपूर्ण औषदी है | त्रिफला चूर्ण को आयुर्वेद का एंटीबायोटिक भी कह सकते है क्यों की यह बहूत से रोगों में काम आता है इसलिए जानते है इसके फायदे
श्वास रोग
त्रिफला के प्रयोग से श्वास रोग में लाभ मिलता है | त्रिफला के नियमित सेवन से श्वास से संबधित रोगों के उपचार में सहायता मिलाती है एवं फेफड़ो के संक्रमण से छुटकारा मिलता है |
रोग प्रतिरोधक
त्रिफला – कमजोर रोगप्रतिरोधक क्षमता वाले लोगो के लिए एक बेहतरीन विकल्प है क्यों की त्रिफला में एंटीबायोटिक व एंटी ऑक्सीडेंट गुण होते है . जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते है | इसलिए नियमित त्रिफला के सेवन से अपनी एंटी बॉडीज को बढ़ा कर रोगों से लड़ा जा सकता है
ज्वर
त्रिफला का उपयोग ज्वर में भी लाभ देता है
कब्ज
कब्ज के उपचार के लिए त्रिफला रामबाण औषदी साबित होती है | कब्ज की समस्या से पीड़ित व्यक्ति को रात्रि में सोते समय त्रिफला चूर्ण – 5 ग्राम की मात्रा में गुनगुने जल के साथ नियमित सेवन करना चाहिए जिससे सुबह पेट अछे से साफ़ हो |
कील-मुहांसों में
त्रिफला अच्छा रक्त शोधक होता है | इसलिए नियमित त्रिफला के सेवन से हमारे शरीर का रक्त शुद्ध होकर विषैले पदार्थ खून से बाहर निकल जाते है जिससे खून की खराबी से होने वाले कील – मुहांसों से निजत मिलाती है |
पढ़े त्रिफला चूर्ण का सम्पूर्ण परिचय और औषध उपयोग
इसके अलावा त्रिफला अन्य बहूत से रोगों में काम आता है जैसे – मन्दाग्नि , खांसी , आँखों की रोशनी बढ़ाने में , सिर दर्द में और पेट से संबधित रोग आदि |
त्रिफला का ऋतू अनुसार सेवन विधि और फायदे
त्रिफला चूर्ण के रोगोपयोग
- कब्ज
- अपच
- अजीर्ण
- भूख न लगना
- पाचन विकार
- गैस
- आफरा
- उदरशूल (पेटदर्द)
- आंत्रकृमि
- आमवात
- रोगप्रतिरोधक क्षमता की कमी
- ज्वर
- रक्त अशुद्धि
त्रिफला चूर्ण का सेवन
इसका सेवन नियमित सुबह – शाम 3 से 5 ग्राम की मात्रा में किया जा सकता है | अनुपान के रूप में गुनगुना जल, शहद आदि का प्रयोग कर सकते है | इस आयुर्वेदिक चूर्ण के कोई भी साइड इफेक्ट्स नहीं है | यह आयु वर्द्धक एवं बल वर्द्धक रसायन है | जिसे कोई भी उम्र का व्यक्ति सेवन कर सकता है |
धन्यवाद ||