शीतली प्राणायाम की विधि – लाभ एवं सावधानियां |

शीतली प्राणायाम

शीतली प्राणायाम

इस प्राणायाम से शरीर का तापमान कम किया जा सकता है | यहाँ प्रयोग किया गया “शीतली” शब्द का अर्थ होता है – ठंडा करना | अर्थात शीतली प्राणायाम से शरीर की उष्णता को कम किया जा सकता है | यह बेहद ही सरल और आसान प्राणायाम है | इस प्राणायाम को अपनाने से शरीर में व्याप्त पित दोष का शमन होता है |

शीतली प्राणायाम करने की विधि

  • सबसे पहले सिद्धासन या पद्मासन में बैठ जाए |
  • अपनी गर्दन , सिर और मेरुदंड को सीधा रखे |
  • दोनों हाथो को घुटनों पर रखे |
  • अब अपनी जीभ को मुंह से थोडा बाहर निकालकर नलिका नुमा मोड़े | जीभ से अर्धचन्द्राकर नलिका बना ले |
  • अब धीरे – धीरे श्वास को अन्दर ले | श्वास इतना ले की फेफड़े पुरे भर जाए |
  • इस स्थिति में थोड़ी देर कुम्भक करे |
  • अब जीभ को अंदर लेकर , मुंह को बंद करले |
  • अब चेहरे को निचे की तरफ झुकाते हुए जालन्धर बंध करे |
  • कुच्छ देर कुम्भक करने के बाद श्वास को धीरे – धीरे नाक से छोड़ दे |
  • इस प्रकार शीतली प्राणायाम का यह एक चक्र पूरा हुआ |
  • इस प्राणायाम को कम से कम 5 मिनट करे |

शीतली प्राणायाम के लाभ / फायदे

और पढ़ेसूर्य भेदन प्राणायाम के लाभ 

  • यह प्राणायाम मन को प्रसन्न करने वाला और शरीर में व्याप्त पित दोष का हरण करने वाला है |
  • शरीर को ठंडक प्रदान करता है |
  • शीतली प्राणायाम को करने से प्यास बुझती है |
  • हाई ब्लड प्रेस्सर को कम करने में फायदेमंद है |
  • आँखों की रौशनी बढती है |
  • काम के दौरान आई थकावट और तनाव को दूर करने में लाभदायक है |
  • त्वचा विकारों में लाभदायक है |
  • नित्य अपनाने से शरीर में कान्ति आती है |
  • पित से सम्बंधित सभी रोगों में फायदा होता है |

शीतली प्राणायाम की सावधानियां

  • निम्न रक्त चाप के रोगी इस प्राणायाम को न करे |
  • अस्थमा , श्वास या दमा के रोगी शीतली प्राणायाम से परहेज करे |
  • कफज प्रकृति के लोग भी इसे न करे |
  • कोष्ठबद्धता से पीड़ित योग गुरु से परामर्श ले कर ही अपनाये |
  • इस प्राणायाम को अधिक देर तक नहीं करना चाहिए |

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