विटामिन बी12 – स्रोत , इसकी कमी और इसके फायदे या कार्य |

विटामिन बी12 / Vitamin B12

शरीर में विटामिन बी12 की बहुत आवश्यकता होती है। यह विटामिन बी समुह का ही एक महत्वपूर्ण विटामिन हैं। इस विटामिन की खोज बी समुह के विटामिनों में सबसे बाद में हुई है, जिसकी खोज अमेरिकन वैज्ञानिक रिक्स ने सन् 1948 में की थी। हमारे शरीर में इस विटामिन की बहुत आवश्यकता होती है | त्वचा को सुंदर रखने, दिल की बिमारियों से बचे रहने , कैंसर से बचने और बहुत से रोगों से लड़ने के लिए शरीर को इस विटामिन की आवश्यकता होती है।

विटामिन बी12
Vitamin B12

कब हुई इस विटामिन की खोज ?

सबसे पहले सन् 1926 में मिनोट एवं मर्फी नामक वैज्ञानिकों ने अपने प्रयोगों से यह पता लगाया कि रोग “पर्निसियस रक्तालपता“ के निवारण के लिए यकृत लाभकारी होता है। यकृत के प्रयोग से “पर्निसियस रक्तालपता” को दूर किया जा सकता है। इसके बाद में सन् 1948 में वैज्ञानिक स्मिथ और पार्कर एवं वैज्ञानिक रिक्स ने इस विटामिन को यकृत से लाल रेवे के रूप में प्राप्त किया। इन वैज्ञानिकों ने यह भी सिद्ध किया कि इस विटामिन के प्रयोग से पर्निसियस रक्तालपता भी ठिक हो जाती है।

विटामिन बी12 की विशेषताएँ ( Characteristics of Vitamin B12 )

  •  विटामिन बी12 लाल रंग को सूई के आकार का रवेदार पदार्थ होता है।
  •  जल में कम घुलनशील होता है।
  •  विटामिन बी12 में 4 प्रतिशत तक कोबाल्ट मिला रहता है।
  •  इसका अणुभार 1355 होता है।
  •  इसके जलीय घोल को धुप में छोड़ देने से यह नष्ट हो जाता है।
  •  इस विटामिन मेें विटामिन सी मिलादिया जाये तो यह हल्की गति से नष्ट होने लगता है |
  •  यह शक्तिशाली अम्ल और क्षार के प्रति अस्थिर है।

विटामिन बी12 के स्रोत (Source of Vitamin B12)

यह विटामिन प्राणिज खाद्य पदार्थों में ही पाया जाता है। वनस्पतिज खाद्य पदार्थों में यह बिल्कूल भी नही मिलता। अर्थात प्राणियों से प्राप्त होने वाले खाद्य पदार्थों में ही यह पाया जाता है। जैसे – माँस, मछली, अण्डा, वृक्क , दूध और दूध से बने पदार्थों से ही इसे प्राप्त किया जा सकता। सबसे अधिक भेड़ के यकृत में यह विटामिन उपस्थित रहता है, उसके बाद बकरी के यकृत, सूअर के यकृत आदि में उत्कृष्ट मात्रा में रहता है। इसके उतम स्रोतों के रूप में मांस, मछली, अण्डा आदि आते है। सामान्य स्रोतों में गाय का दूध, क्रिम निकला हुआ दूध का पाउडर, पनीर, दही और छाछ आदि में भी यह सामान्य मात्रा में उपस्थित रहता है। क्या होता है विटामिन b complex

शरीर में विटामिन बी12 के कार्य या फायदे (Functions or Benefits of Vitamin B12)

  •  यह विटामिन लाल रक्त कणिकाओं की परिपक्वता के लिए अत्यंत आवश्यक होता है। शरीर में रक्तालपता सम्बंधी रोगों में इसके इंजेक्शन देने के कुछ देर बाद ही लाल रक्त कणिकाओं मे परिपक्वता आनी शुरू हो जाती है। इसी कारण से यह कैंसर जैसे रोगों में उपयोगी होता है।
  •  इस का एक प्रमुख कार्य शरीर में काॅ-एंजाइम की तरह कार्य करना भी होता है। अभी तक मानव शरीर में 5 प्रकार के काॅ-एंजाइमों का पता चला है। लेकिन यह काॅ-एंजाइम कई काॅ-एजांइमो के कार्य करने में पोषक तत्वों की तरह कार्य करता है और शरीर में प्यूरिन्स एवं पाइरिमिडिन्स के चयापचय के लिए भी जरूरी होता है।
  •  शरीर में कार्बोज, वसा एवं प्राटिन के चयापचय के लिए यह विटामिन अत्यंत आवश्यक होता है।
  •  यह विटामिन व्यक्ति की भूख को बढाता है।
  •  पर्निसियस रक्तालपता के कारण जो मनुष्य में रोग हो जाते हैं। उसके उपचार में भी विटामिन बी12 का प्रयोग किया जाता है।
  •  उचित मात्रा में अगर यह शरीर में उपस्थित है तो यह यकृत में वसा को इक्ठा नही होने देता जिससे की यकृत अपना कार्य सही तरीके से कर सकता है।
  •  नाड़ी-ऊतकों में होने वाले चयापचय के लिए इस विटामिन की आवश्यकता होती है।

शरीर में विटामिन बी 12 की कमी (Vitamin B12 Deficiency)

शरीर में विटामिन बी12 की कमी से बहुत सी समस्याऐं हो जाती है। इस विटामिन की कमी से शरीर मेें रक्तालपता होने लगती है। शरीर के तंत्रीका तंत्र को दूरस्थ रखने में भी यह आवश्यक होता है इसलिए विटामिन बी12 की कमी होने से तंत्रीका तंत्र भी असामान्य हो जाता है। शरीर में इसकी कमी के निम्न प्रभाव पड़ते हैं।

  •  इसकी कमी से मुहं में छाले पड़ने लगते हैं। जीभ में जलन होना और दरारें होना भी शुरू हो जाता है।
  •  विटामिन बी12 की कमी से आमाशय की कोशिकाएं प्रभावित होती हैं जिस कारण से पाचक रस और एंजाइम निकलने कम हो जाते हैं। फलस्वरूप अमाशय ठिक ढंग से काम करना बंद कर देता है।
  •  जब शरीर मे विटामिन बी12 की कमी होने लगती है तो रक्त में लाल रक्त कणिकाओं की संख्या भी घटने लगती है। इसी कारण पर्निसियस रक्तालपता जैसा रोग भी घेर लेता है।
  •  इसकी कमी से रक्त मे हिमोग्लाबिन की मात्रा भी कम हो जाती है। जिसके कारण व्यक्ति अस्वस्थ रहने लगता है।
  •  त्वचा का रंग पीला पड़ने लगता है। रोगी के हाथ और पैर सुन हो जाते हैं, जल्द ही थकान होने लगती है और व्यक्ति काम के प्रति विमुख हो जाता है।
  • शरीर में इस विटामिन की कमी होने से नाड़ीयों में भी विकार उत्पन्न होने लगते हैं। नाड़ि तंतुओं में घाव हो जाते हैं। जिसके कारण व्यक्ति कमजोर, चिड़चिड़ा, भूख में कमी, चक्कर आना, सिर में दर्द और मानसिक तनाव से भी घीर जाता है।

शरीर में विटामिन बी12 की दैनिक आवश्यकता (Daily Allowances)

उत्तम स्वास्थ्य और रोगों से बचे रहने के लिए आहार में विटामिन बी 12 का होना अत्यंत आवश्यक है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान समिति ने सन् 1989 में हमारे लिए इस विटामिन की दैनिक आवश्यकता निर्धारित की जिसे आप इस सारणी के माध्यम से समझ सकते है।

समूहICMR 1989 विटामिन बी12
ug/day
WHO विटामिन बी12
ug/day
NRC विटामिन बी12
ug/day
शिशु – 0 से 6
7 – 12
0.2
0.2
0.3
0.3
1.0
1.3
बच्चे – 1 से 3
4 से 6
7 से 9
10 से 12
0.5
0.5
0.5
0.5
0.9
1.5
1.5
2.0
2.0
2.5
4.0
5.0
किशोर1.52.05.0
वयस्क1.02.05.0
गर्भवती स्त्री1.53.08.0
धात्री माता1.55.28.0

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