सोडियम – स्रोत , फायदे , कार्य और कमी के नुकसान

सोडियम / Sodium in Hindi

हमारे शरीर में खनिज लवणों की आवश्यकता बहुत अधिक होती है | इन्ही खनिज लवणों में सोडियम की गिनती भी प्रमुखता से की जाती है | दैनिक आहार में शामिल सभी खाद्य पदार्थो में सोडियम उपस्थित रहता है | हमारे द्वारा ग्रहण किये जाने वाले भोजन में यह अल्प या अधिक मात्रा में उपस्थित तो रहता है लेकिन फिर भी हम इसे साधारण नमक के माध्यम से ग्रहण करते ही है |

सोडियम

साधारण नमक ही सोडियम होता है अर्थात Sodium Chloride को ही साधारण नमक कहा जाता है | दैनिक ग्रहण किये जाने वाले खाद्य पदार्थो जैसे – दाल , सब्जी, रोटी, चावल, रायता आदि में स्वाद के लिए नमक को डाला जाता है लेकिन स्वाद के साथ – साथ यह शरीर में सोडियम की आवश्यकता को भी पूरी करता है | इसका प्रमुख कार्य शरीर में अम्ल और क्षार के संतुलन को बनाये रखने का होता है |

सोडियम के स्रोत या साधन / Source of Sodium

प्रकृति में विद्यमान सभी भोज्य पदार्थो में सोडियम की उपस्थिति होती है | पशुओं से प्राप्त भोज्य पदार्थो में इसकी मात्रा अधिक होती है , जैसे – दूध , दही, पनीर, अंडा , मांस , मछली आदि | दूध से ही प्राप्त किये जाने वाले मक्खन और चीज में भी सोडियम की मात्रा अधिक होती है |

इसके अलावा वनस्पति से प्राप्त खाद्य पदार्थो में भी सोडियम की मात्रा अधिक होती है | दालों में यह सबसे अधिक मात्रा में उपस्थित रहता है | अनाज , सूखे मेवे, सब्जियां, हरे पत्तेदार सब्जियां आदि में भी कुछ मात्रा में यह उपस्थित रहता है | ये तो आप सभी जानते ही है की नमक ही सोडियम होता है इसलिए सबसे उत्कृष्ट साधन भी साधारण नमक ही होगा |

सोडियम के कार्य या फायदे / Functions or Benefits of Sodium

  • Sodium रक्त में अम्ल और क्षार को संतुलित रखने में सहायक होता है | यह रक्त में बफर की तरह कार्य करता है और अपने स्वाभाव के कारण यह रक्त रक्त को न तो अधिक अम्लीय होने देता है और न ही अधिक क्षारीय होने देता है |
  • हृदय की धड़कन की गति को सामान्य बनाये रखने के लिए भी sodium आवश्यक होता है | अगर शरीर में इसकी कमी हो जाए तो हृदय की मांसपेशियों में सामान्य तरह से होने वाले संकुचन और विमोचन में गड़बड़ी पैदा हो जाती है | अत: हृदय को सुचारू रूप से काम करते रहने के लिए शरीर में सोडियम की उपस्थिति जरुरी होती है |
  • शरीर में उपस्थित जल को संतुलित बनाये रखने के लिए भी इसकी आवश्यकता होती है | जैसे कभी हमारे शरीर में इसकी अधिकता हो जाए तो यह पसीने के माध्यम से शरीर से बहार निकल जाता है जिससे शरीर स्वस्थ बना रहता है |
  • नाड़ियों की उतेजनशिलता को सामान्य बनाये रखने के लिए भी इसकी औसत उपस्थिति जरुरी होती है | सोडियम हमारे नाड़ी संसथान की संवेदनशीलता को संयमित रखता है |
  • मंस्पेशोयों के संकुचन में भी यह आवश्यक होता है | सोडियम मांसपेसियों के संकुचन और प्रसारण के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण लवण है | इसकी कमी से मांसपेशियां स्थिर हो जाती है |
  • शरीर के समस्त अंगो को क्रियाशील बनाये रखने के लिए भी इसकी उपस्थिति महत्वपूर्ण होती है |

सोडियम की कमी के कारण होने वाले प्रभाव / Sodium Deficiency Effects

शरीर में सोडियम की कमी को हाइपोनेटेरमिया कहा जाता है | ज्यादातर तो शरीर में सोडियम की कमी नहीं होती लेकिन अत्यधिक शारीरिक श्रम करने वालों और गरम प्रदेशो के लोगो में इसकी कमी देखने को मिलती है | क्योंकि अधिक परिश्रम करने वाले और गरम प्रदेश से आने वालों में अधिक पसीना आता है, जिस कारण से शरीर से सोडियम निकल जाता है और इसकी कमी हो जाती है | इसके अलावा निम्न कारणों से भी शरीर में सोडियम की कमी हो सकती है |

  • तेज डायरिया होने पर |
  • लम्बे समय तक उलटी होते रहने से |
  • गुर्दों के किसी रोग के कारण , जिसमे गुर्दे सोडिय म को कम मात्रा में पुन:अवशोषित नहीं करते |
  • बार – बार पेशाब करने से |

इसकी कमी से गुर्दे में मांसपेशियों में तीव्र पीड़ादायक संकुचन होने लगता है | मांसपेशियां स्थिल हो जाती है , जिसे Heat Cramps कहा जाता है | अगर व्यक्ति को ये बीमारी हो जाए तो उसे जल्द ही पानी में नमक का घोल बना कर पिलाना चाहिए | वमन, दस्त,डायरिया और बार – बार पेशाब त्यागने की समस्या में भी शरीर में इस लवण की मात्रा कम हो जाती है | इसकी कमी से शरीर में निम्न लक्षण प्रकट होते है –

  • जी मचलाना |
  • थकावट होना |
  • शरीर में कमजोरी आ जाना |
  • हाथ – पैरो और पेट की पेशियों में एंठन होने लगती है |

सोडियम की अधिकता के प्रभाव / Effects of Excess of Sodium

शरीर में एक निश्चित मात्रा के बाद अगर सोडि’यम की अत्यधिक मात्रा उपस्थित है तो यह हमारे शरीर के लिए नुकसान दाई साबित हो सकती है | शरीर में इसकी अधिकता को Hypernatremia  कहा जाता है | इस रोग में शरीर के रक्त प्लाज्मा में सोडियम-आयन की मात्रा सामान्य से अधिक हो जाती है जो नुकसानदेह साबित होती है | शरीर में इसकी अधिकता होने से निम्न प्रभाव दिखाई देते है –

  •  रोगी शरीर में सुजन आ जाती है |
  • शरीर में इसकी अधिक मात्रा होने पर प्रोटीन की कमी हो जाती है |
  • रक्त का blood volume बढ़ जाता है जो शरीर में कई प्रकार से खतरनाक होता है |
  • व्यक्ति का रक्त चाप बढ़ जाता है |

जिन लोगों में हृदय की बीमारी, उच्च रक्त चाप, गुर्दे की बीमारी, यकृत की बीमारी और गर्भकालीन विषाक्तता आदि हों | उन्हें साधारण नमक का बिलकुल इस्तेमाल नहीं करना चाहिए | दूध और दही को भी बंद कर देना चाहिए या फिर इन्हें सोडियम रहित करके सेवन करना चाहिए | इन रोगों से पीड़ितों को 250mg से भी कम मात्रा में सोडियम का सेवन करना चाहिए |

धन्यवाद |

Regards – Dr. Brinda Singh

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