विटामिन बी – इसके कार्य , कमी के प्रभाव और फायदे

विटामिन बी / Vitamin B Complex

 

“विटामिन ‘बी” काॅम्पलेक्स वस्तुतः विटामिन B के बहुत से भागों का समुह है। इसीलिए इसे विटामिन बी समुह या कहा जाता है। विटामिन B को विटामिन बी1 या थायमिन भी कह सकते हैं। विटामिन बी की कमी से बेरी-बेरी रोग हो जाता है। अधिकांशतः यह रोग उन प्रदेशवासियों को होता है जो पाॅलिश किये हुए अन्न का अधिक सेवन करते हैं। विटामिन बी काॅम्पलेक्स पानी में घुलनशील विटामिन होते हैं। विटामिन बी समूह के सभी विटामिन एक-दूसरे के अभिन्न अंग हैं लेकिन फिर भी ये गुणों और कार्यो में बहुत भिन्न हैं। इनका मुख्य कार्य पाचन शक्ति में सक्रिय योगदान देना और स्नायुतंत्र को सही रखना होता है।

विटामिन बी
विटामिन ‘b’ काम्प्लेक्स

सन् 1987 ई. में आइज्कमैन ने पक्षियों पर अनेक शोध किये। उन्होनें पक्षियों को पाॅलिश किये हुए चावलों को खिलाया जिससे उन्हे बेरी-बेरी रोग हो गया। फिर उन्होने उन्ही पक्षियों को चावल का उपरी भाग “भूसी” खिलाया तो वे स्वस्थ हो गये। इसी शोध के आधार पर आइज्कमैन ने यह निष्कर्ष निकाला कि पाॅलिश किये गये चावलों में एक तत्व की कमी होती है जिसे खाने से नाड़ी संस्थान पर प्रभाव पड़ता है। और यही चावलों की भूसी खिलाने से नाड़ी संस्थान पर रक्षात्मक प्रभाव पड़ते है।

विटामिन बी की खोज / When was discovered Vitamin B ?

सन् 1911ई. में फंक ने चावल के बाह्य पर्त में विद्यमान तत्व को विटामिन नाम दिया । जिसे बाद में मेक्कोलम तथा डेविस ने जल में घूलनशील विटामिन नाम दिया।

विटामिन बी की विशेषताऐं

  1. यह जल में पूर्णतया घूलनशील विटामिन होता है। यह आंशिक रूप से एल्कोहल में भी घुलनशील है।
  2. ये रंगहीन रवेदार तत्व है।
  3. यह अम्लिय माध्यम में स्थिर रहता है।
  4. यदि इसे 120 डिग्री सेल्सियस पर 30 मिनट तक गर्म किया जाये तो यह नष्ट हो जाता है। क्षारियता होने पर यह कमरे के तापक्रम पर भी नष्ट हो सकता है।
  5. इसका स्वाद खमीर जैसा तथा गंध विशेष प्रकार की होती है।

विटामिन बी1 के कार्य

विटामिन A के स्वास्थ्य उपयोग पढ़े click here

1. शारीरिक वृद्धि में सहायक

थायमिन शारीरिक वृद्धि और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह विटामिन भूख को बढाता है। जब भूख बढती है तो निश्चित ही पर्याप्त मात्रा में आहार ग्रहण किया जाता है। जिससे शरीर को सभी पोषक तत्व उचित मात्रा में मिलते हैं और शरीर की वृद्धि होती है।

2. कार्बोज के चया-पचय में सहायक

शरीर में थायमिन मुक्त रूप से भी पाया जाता है और यौगिकों के साथ भी मिलता है। विटामिन बी फास्फेट के साथ यौगिक रूप में रहता है जिसे थायमिन पायरोफास्फेट कहते हैं। इसका कार्य को-कार्बोक्सिलेज मैग्निशियम लवण और विशेष प्रोटिन के साथ मिलकर कार्बोज के चयापचय में सक्रिय भूमिका निभाना है। जब आहार में विटामिन B की कमी हो जाती है तब कार्बोज का चयापचय सही तरीके से नही हो पाता।

3. डी.एन.ए के निर्माण में सहायक

थायमिन D.N.A / R.N.A के निर्माण में भी सहायता प्रदान करता है। दरःशल शरीर में डी.एन.ए और आर.एन.ए के निर्माण के लिये राइबोज शर्करा की आवश्यकता होती है। इस राइबोज का निर्माण भी विटामिन बी के पाइरोफास्फेट की उपस्थिती में ही होता है।

4. रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढाता है विटामिन बी

विटामिन बी रक्त में उपस्थित WBC अर्थात श्वेत रक्त कणिकाओं की रोगाणुओं से लड़ने की क्षमता को बढाने का काम करती है। इसी कारण से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि होती है।

5. पाचन क्रिया में सहायता करना

थायमिन का एक कार्य पाचन क्रिया को सूचारू रूप से संयमित करना भी होता है। यह पाचन तंत्र और आँतों के सूचारू करने के लिये आवश्यक होता है। इसकी कमी के कारण पाचन क्रिया में कमी हो जाती है और फलस्वरूप भूख भी कम हो जाती है। आँतों में विकार उत्पन्न होने लगते है और इनकी श्लेष्मिक कला की कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं। आँतों में घाव होने लगते हैं और रोगप्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर हो जाती है।

6. अन्य कार्य

भोेजन के प्रति अरूची, अपच, अजीर्ण, मंदाग्नि, अतिसार, कब्ज, आदि पर नियन्त्रण पाने के लिये भी विटामिन B अत्यावश्यक होता है। इसके अभाव में दस्त, अतिसार, वमन, पेट-र्दद आदि की शिकायते हो जाती है।

विटामिन बी1 की कमी से होने वाले रोग एवं शारीरिक प्रभाव

जब प्रयाप्त मात्रा में विटामिन बी युक्त आहार का ग्रहण नही किया जाता तब शरीर में इसकी कमी होने लगती है। शराब का अत्यधिक नशा करने वाले अधिकतर लोगों में विटामिन B की कमी हो जाती हैं। जो अत्यधिक कार्बोज का सेवन करते है लेकिन हरि पत्तेदार सब्जियों का इस्तेमाल बिल्कूल नहीं करते वे भी इसकी कमी से झूझते रहते हैं। पाॅलिश किये गये अन्न का अधिक सेवन करने से भी शरीर में विटामिन B की कमी हो जाती है।

इसकी कमी से मूख्यतः बेरी-बेरी रोग हो जाता है। जिसमें व्यक्ति की भूख मर जाती है और शारीरिक कमजोरी के लक्षणों के साथ-साथ चिड़चिड़ापन होना, शीघ्र थकान, पैरों में कमजारी होना आदि हो जाते है। जब शरीर में इसकी अत्यधिक कमी हो जाती है तब “वर्निक्स काॅरसाकाॅफस सिन्ड्रोम” नामक बिमारी हो जाती है। इस रोग से पीडीत व्यक्तियों में नाड़ी से सम्बंधी विकार हो जाता है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति हमेशा चिन्तित, भय और कन्फयूज्ड रहता है। आंखों की पेशीयां कमजोर होकर उनमें लकवा पड़ जाता है। उपचार स्वरूप विटामिन बी1 के इन्जेक्शन देने पड़ते हैं।

विटामिन बी के प्राप्ति के स्रोत

शुष्क खमीर, साबुत अनाज, हाथ का कुटा हुआ चावल, गेहँु की भूसी, चावल की भूसी, साबुत दालें आदि विटामिन बी1 के उत्कृष्ट स्रोत हैं। इसके अलावा तेल बीज, हरी सब्जियां, हरा मटर, हरा चना, यकृत आदि में थायमिन प्रचूर मात्रा में रहता है। आटा, मैदा, बेसन, दूध, फल, जड़वाली सब्जियां, माँस, मछली, अण्डा में भी यह कुछ मात्रा में विद्यमान रहता है।

 

अन्य स्वास्थ्य संबंधी महतवपूर्ण जानकारियों के लिए हमारे Facebook पेज – “स्वदेशी उपचार” को Like करना न भूलें |

धन्यवाद |

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *