विदारीकन्द के फायदे और गुण उपयोग | VidariKand Detail in Hindi

आज हम आपको विदारीकन्द के एक ऐसे प्रयोग के बारे में बताने जा रहे है जो पूर्ण रूप से महारसायन है जिसके उपयोग से आप अपने शरीर में अदिव्तीय काम शक्ति को प्रज्वलित कर सकते है | (कृपया पूरा आर्टिकल पढ़ें तभी आप विदारीकन्द को समझ सकतें है)

विदारीकन्द के बारे में अगर आप नहीं जानते है तो हम आपको बता देते है की यह एक औषधीय लता है जो हिमालय के तराई क्षेत्रो में , नदी नालो के किनारे देखने को मिलती है |

इसकी जड़ निचे जमीन के अन्दर होती है जिसमे कई कंद होते है यही कंद औषध उपयोग में लिए जाते है | जड़ पर उपस्थित इन कंद को ही विदारी के फल कह सकते है | ये मधुयष्टी ( मुलेठी  )  के फल के जैसे ही स्वाद वाले होते है |

विदारीकन्द की चक्राकार चढ़ी हुई लताये होती है | इसका तना मोटा होता है एवं इसकी पतियाँ पलास की पतियों की तरह तीन के पतों के समूह में लगती है जिनकी लम्बाई 4″ से 6″ होती है एवं 2″ से 3″ इंच तक चौड़ी होती है |

विदारीकन्द के फुल नवम्बर और दिसम्बर में लगते है जो कुछ नीलाभ और बैंगनी रंग के होते है | घोड़े और हाथियों के ये प्रिय  भोजन है इसीलिए इसे गजवाजिप्रिया भी कहते है |

विदारीकन्द का रासायनिक संगठन  और गुणधर्म 

विदारीकन्द के फलो ( कंद ) में प्रोटीन , राल एवं कार्बोहाइड्रेट प्रचुर मात्रा में  पाया जाता है | यह मधुर रस वाला और स्निग्ध होता है | विदारीकन्द स्तनों में दूध बढाने वाला , शुक्रवर्धक , स्वर को मधुर बनाने वाला , मुत्रकारक ( मूत्रल ) और जीवनी शक्ति को बढ़ाने वाला तत्व है | विदारीकन्द शीतवीर्य होती है इसीलिए यह पित्त , रक्त और वायु को शांत करने वाली उत्तम औषधि है |

विधारी कंद के कंद का चूर्ण ही औषध प्रयोग में लिया जाता है | यह पुरुषो के लिए एक उत्तम बलवर्द्धक , वीर्य वर्द्धक और शुक्रमेह को रोकने वाली औषधि है | वात , पित्त , शोथ , धातुक्षय , कमजोरी, शीघ्रपतन , नपुंसकता और यौन दुर्बलता में इसका रसायन की तरह उपयोग करने से 100% परिणाम प्राप्त होता है |

विदारीकन्द आसानी से किसी भी पंसारी की दुकान से प्राप्त की जा सकती है | इसका प्रयोग बच्चो , स्त्रियों और पुरुषो में सुदृढ़ और बलशाली बनाने के लिए प्रयोग किया जा सकता है | उचित समय तक प्रयोग करने से जीवनी शक्ति अर्थात उम्र को बढाने में भी उपयोगी सिद्ध होती है |

विदारीकन्द के प्रयोग और फायदे 

पौरुष शक्ति के लिए इस प्रकार करे महारसायन योग तैयार 

विदारीकन्द को आवश्यक मात्रा में लाकर कूट – पीसकर चूर्ण बना ले | अब इस चूर्ण में विदारीकन्द के रस की 21 भावना दे | भावना देने से तात्पर्य है की जैसे आपने चूर्ण लिया 100 ग्राम – अब इस चूर्ण में इतना विदारीकन्द का रस मिलावे की चूर्ण गीला हो जाये , जब चूर्ण गीला हो जाए तो खरल में इसे इतनी देर तक फिर घोटे की चूर्ण फिर से सुखा हो जावे |

अगली बार सूखे चूर्ण में ताजे विदारीकन्द के रस को मिलाकर भावना देनी है | यह प्रक्रिया 21 बार दोहरानी है | अब तैयार चूर्ण को कांच की शीशी में भर कर रख ले |

इस चूर्ण का प्रयोग 6 ग्राम की मात्रा में मिश्री मिले दूध के साथ सुबह – शाम नियमित सेवन करे | जल्द ही यौन दुर्बलता ख़त्म हो जायेगी एवं आप नया यौवन महसूस करेंगे |

वैसे तो यह प्रयोग कोई हानि नहीं देता लेकिन फिर भी मात्रा का ध्यान रखे | इस महारसायन चूर्ण के इस्तेमाल से धातु – दुर्बलता , शीघ्रपतन , नपुंसकता , वीर्य में शुक्राणुओं की कमी और शरीर को रोग प्रतिरोधक क्षमता प्राप्त होती है | विदारीकंद के फायदे हम यहाँ निचे दे रहें है देखें –

गजवाजिप्रिया के कुछ अन्य फायदे 

स्तनों में दूध की कमी – जिन प्रसवोतर महिलाओं के स्तनों में दूध  सही मात्रा में नहीं बनता वे इसके चूर्ण 4 ग्राम चूर्ण को सुबह – शाम मिश्री मिले दूध के साथ सेवन करे | नियमित 15 दिन के उपयोग से स्तनों में दूध की कमी दूर हो जाएगी और शरीर भी तंदरुस्त रहेगा |

अधिक रक्तस्राव – जिन महिलाओंको मासिक धर्म के समय अधिक मात्रा में रक्त स्राव होता है वे इस औषधि का उपयोग कर के देखे , राहत मिलेगी | इसके लिए एक चम्मच चूर्ण को थोड़े से घी और शक्कर के साथ मिलाकर सुबह – शाम चाटने से जल्द ही अधिक मासिकस्राव की समस्या ख़त्म हो जाएगी |

दुर्बल बच्चो के लिए – शारीरक रूप से दुर्बल बच्चो पर भी इस  औषधि का अच्छा असर पड़ता है | कृष  शरीर वाले बच्चो को 2 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ सुबह शाम चूर्ण चटाने से बच्चो का शरीर बलवान होता है एवं शरीर सुडोल भी बनता है |

यकृत और तिल्ली वर्द्धि – यकृत और तिल्ली की वर्द्धि में एक चम्मच विदारीकन्द के चूर्ण को शहद के साथ चाटने से यकृत और तिल्ली की वर्द्धि कम हो जाती है |

विदारीकन्द चूर्ण को घृत में मिलाकर विसर्प में लगाना चाहिए | यह विसर्प में लभद देता है |

ज्वर – विदारी और इक्षुरस को दूध, घी, शहद या तेल के साथ मिलाकर पिलाना फायदेमंद रहता है | इससे बुखार में आराम मिलता है |

विदारी स्वरस में सीता मिलाकर सेवन करने से पित्त शूल जल्द मिटता है |

विदारीकन्द के उपयोग / Uses of VidariKand 

1 . बलवृद्धक एवं बृहन यह मधुर रस एवं विपाक से एवं शीतवीर्य से धातुओं का वर्द्धन करता है | यह शारीरिक कमजोरी को दूर करके रस, मांस एवं शुक्रधातु की वृद्धि करता है | अगर आप यौन कमजोरी एवं बीमारी आदि के कारण शक्तिविहीन शरीर को ठीक करना चाहते है तो विदारीकन्द आपकी सहायता कर सकता है |

2. स्तन्यजनन (स्तनों में दूध की वृद्धि) – यह स्त्रियों में दूध की कमी को दूर करती है | विदारीकन्द को दूध में पकाकर सिद्ध करके सेवन करने से स्तनों में दूध की वृद्धि होती है |

3. वीर्य की कमी एवं ओजक्षय – यह अपने औषधीय गुणों के कारण सम्पूर्ण शरीर की धातुओं का वर्द्धन करता है | अत: वीर्य की कमी एवं शरीर के औज की कमी में इसका सेवन करना फायदेमंद रहता है | इसे अच्छा वाजीकरण द्रव्य माना जाता है |

4. रक्तपित – विपाक में मधुर होने, शीत वीर्य एवं स्निग्ध होने के कारण पित्त का शमन करती है | यह खून को साफ़ करके रक्तपित्त एवं मूत्रगत व्याधियों का शमन (नष्ट) भी करती है |

विदारीकन्द सेवन की मात्रा एवं तरीका 

इसकी जड़ के चूर्ण को ही अधिकतर औषध उपयोग में लिया जाता है | इसके चूर्ण को 1 से 2 ग्राम की मात्रा में शहद, जल या दूध के साथ सेवन किया जा सकता है |

धन्यवाद |

14 thoughts on “विदारीकन्द के फायदे और गुण उपयोग | VidariKand Detail in Hindi

  1. संजय वैरागी says:

    विधारी कन्द के कोई नुकसान भी है क्या यह कितने समय तक या इसका प्रयोग कितने वक्त तक कर सकते है और किडनी पर इसका कोई दुष्प्रभाव पड़ता हे जानकारी जरूर दे

    • स्वदेशी उपचार says:

      विदारीकन्द के कोई ज्ञात नुकसान मेरी नजर में नहीं है | फिर भी किसी भी आयुर्वेदिक औषधि का सेवन चिकित्सक के परामर्शनुसार करना चाहिए | चिकित्सक का परामर्श आवश्यक इसलिए है कि रोगी की शारीरिक क्षमता एवं प्रकृति के अनुसार ही औषध का निर्धारण किया जाता है | अत: अगर आप विदारीकंद का सेवन करना चाहते है तो आयुर्वेदिक चिकित्सक का परामर्श लेकर सेवन करें अधिक लाभ मिलेगा |

      धन्यवाद
      डॉ. ए.के. शर्मा (BAMS)
      S.U. Member

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