Vanari Vati / वानरी वटी – Vanari Gutika Uses and Making Process in Hindi

vanari vati या वानरी गुटिका एक हर्बल योग है जिसे कौंच के बीज से बनाया जाता है | कौंच की फलियों पर बन्दर के शरीर पर होने वाले बालो की तरह रोएँ होते है इसलिए इसे वानरी भी कहा जाता है | कौंच को कपिकच्छु , केंवाच , वानरी , कपि , कपिलोमा और मर्कटी आदि नामों से जाना जाता है | कौंच का आयुर्वेद में पुरातन समय से ही इस्तेमाल होते आया है | पुरुषो के यौन स्वास्थ्य के लिए यह एक उत्तम औषधिय द्रव्य है |

कौंच का इस्तेमाल बजिकारक , यौन दुर्बलता और यौन विकारों में  फायदेमंद होता है | यह यौनांगो की स्थिलता , नपुंसकता को दूर करके शरीर में धातु  की पुष्टि और वर्द्धि करती है और स्तम्भन शक्ति को बढाकर शीघ्रपतन जैसे रोगों का शमन करती है |

vanari gutika

कौंच की सम्पूर्ण जानकारी के लिए – यहाँ देखें 

वानरी गुटिका के घटक – Ingredents Of Vanari Vati

वानरी गुटिका / Vanari Vati में मुख्य रूप से कौंच के बीजो का चूर्ण इस्तेमाल होता है | ध्यान दे कौंच के बीजों को छिलका उतार कर इस्तेमाल करना चाहिए | कौंच बीज का छिलका उतारने के लिए गाय के दूध में कौंच के बीजो को अच्छी तरह पकाए | पकने के बाद बीजों को हल्के हाथ से रगड़ कर इनका छिलका उतारे , आसानी से उतर जायेगा | बाद में छिलके उतरे बीजों को  अच्छी तरह सुखा ले और इनको पीसकर चूर्ण बना ले | कौंच बीजो के चूर्ण के आलावा vanari vati / वानरी गुटिका तैयार करने के लिए गाय का दूध , गाय का देशी घी , मिश्री और आवश्यक मात्रा में शहद चाहिए |

वानरी गुटिका बनाने की विधि – How to Make Vanari Vati

कौंच बीज से बनाया जाने वाला यह विशिष्ट योग है | यह अत्यंत वाजीकारक और बल्य महायोग है | वैसे तो मार्केट में वानरी गुटिका के नाम से आपको टेबलेट्स उपलब्ध होती है लेकिन हम आपको इसकी टेबलेट्स बनाने की विधि नहीं बता रहे बल्कि एक सरल विधि बता रहे जो घर पर तैयार करने वाले किसी व्यंजन की ही भांति सरल और उत्तम है | आप इस  विधि से वानरी गुटिका तैयार कर सकते  है |

सर्वप्रथम कौंच के बीजो का चूर्ण बना ले | अब इस चूर्ण को गाय के दूध में मिलाकर भजिये के घोल की तरह गाढ़ा घोल तैयार कर ले | कड़ाही में घी डालकर गर्म करे और मंद आँच पर पर घोल डालकर छोटी – छोटी पकोड़ियाँ उतार ले | ध्यान दे – इनको अच्छी तरह सेकना है | अब एक बर्तन में मिश्री की चाशनी तैयार कर ले और उतारी हुई पकोड़ियों को चाशनी में डालदे | जब पकोड़ियाँ अच्छी तरह चाशनी को सोख ले , तब इनको एक जार में इकट्ठा कर ले | अब ऊपर से इस जार में शहद भर दे और ढक्कन अच्छी तरह बंद कर दे | इन पकोड़ियों को शहद में 3 या 4  दिन तक डूबा रहने दे |

सेवन

4 दिन पश्चात इनका सेवन शुरू करे | अपनी पाचन शक्ति के अनुसार या 20 से 25 ग्राम पकोड़ियों को अच्छी तरह चबा – चबा कर सुबह – शाम सेवन करे | इसका सेवन 2 महीने तक कर सकते है | Vanari Vati के सेवन से सभी प्रकार की यौन समस्याएँ दूर होती है | इसके सेवन से शीघ्रपतन , यौनांगो की स्थिलता , नपुंसकता और धातु – दुर्बलता जैसे विकारो से निजात मिल सकती है |

वानरी गुटिका के फायदे – Benefits of Vanari Vati

  • यह नुस्खा उत्तम वाजीकारक है |
  • वानरी  गुटिका के प्रयोग से सभी प्रकार की यौन दुर्बलताएं दूर होती है |
  • इसके सेवन से वीर्य  में शुक्राणुओं की वर्द्धि होती है |
  • वात –  पित्त का संतुलन होता है |
  • नपुंसकता में कारगर औषधि है |
  • शीघ्रपतन को जड़ से खत्म करती है |
  • पुरुषों के यौन विकारों में उपयुक्त योग है |
  • बुढ़ापे से आयी हुई कमजोरी में लाभदायक है |
  • कामइच्छा में वर्द्धि करती है |
  • धातु – दुर्बलता को जड़ से ख़त्म करता है यह नुस्खा |
  • सभी प्रकार के यौन विकारों में इसका सेवन किया जा सकता है |

धन्यवाद | 

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