कैल्शियम / Calcium – कार्य, कमी के कारण, फायदे, फलों एवं सब्जियों की सूचि और प्रभाव

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कैल्शियम / Calcium – कार्य, कमी के कारण, फायदे, फलों एवं सब्जियों की सूचि और प्रभाव

(Updated on 15-08-2018 at 22:03 IST) कैल्शियम हमारे शरीर के लिए अत्यंत आवश्यक खनिज तत्व है | हमारे शरीर में अन्य खनिज लवणों की अपेक्षा कैल्शियम की मात्रा सबसे अधिक होती है | हमारे शरीर में कुल भार का 4% भाग खनिज लवणों का होता है और इसमें से भी लगभग आधा यानि 2% भाग कैल्शियम का होता है | शरीर में कैल्शियम की कमी से कई रोग हो जाते है , अत: यह नितांत आवश्यक है की हमारे शरीर में कैल्शियम की उचित मात्रा बनी रहे | इसके लिए हमें एक संतुलित आहार को अपनाना चाहिए जिसमे सभी खनिज तत्वों की पूर्ति होती हो |

कैल्शियम
what is calcium and its function

हमारे शरीर में कुल जमा कैल्शियम का 99% भाग अस्थियों और दांतों में उपस्थित होता है और शेष 1% कैल्शियम शरीर के अन्य कोमल तंतुओं , रक्त के सीरम और अन्य तरल पदार्थो में पाया जाता है | एक पूर्ण वयस्क व्यक्ति के शरीर में 1000 से 1200 ग्राम तक कैल्शियम रहता है | शरीर में कैल्शियम की कमी होने पर हड्डियाँ कमजोर हो जाती एवं हड्डियों के जॉइंट्स में दर्द रहने लगता है | अत: शरीर में Calcium की सही मात्रा बनाये रखने के लिए Calcium युक्त स्रोतों को अपने आहार में लेते रहे |

कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ

दूध कैल्शियम का सर्वोत्कृष्ट स्रोत है | दूध में उपस्थित कैल्शियम हमारे शरीर में पूर्ण रूप से अवशोषित हो जाता है | अत: बच्चो से लेकर बूढों तक सभी को दूध का सेवन नियमित रूप से करते रहना चाहिए | दूध से बने व्यंजन जैसे दही , छाछ और मक्खन भी इसके अच्छे स्रोत है | हरी पतेदार सब्जियां , पता गोभी , फुल गोभी , अंडा , छोटी मच्छलिया ( हड्डी सहित ) आदि में भी कैल्शियम उचित मात्रा में पाया जाता है |  तील ,सूखे मेवे , रागी , चौलाई के साग , सरसों का साग, सहजन की पतियाँ और दाले आदि भी कैल्शियम के अच्छे स्रोत है | तील में बहुत अधिक मात्रा में कैल्शियम विद्यमान रहता है | लेकिन इसके छिलके में पाए जाने वाला कैल्शियम ओक्जेलेट एक अघुलनशील यौगिक होता है  , जिसके कारण हमारा शरीर इसे अवशोषित नहीं कर पाता | किशोर अवस्था के बच्चो को कैल्शियम की अधिक आवश्यकता होती है | इसलिए बढ़ते बच्चों को कम से कम 500 ml दूध का सेवन नित्य करना चाहिए , ताकि शरीर की वर्द्धि अच्छी तरह हो | दूध में कैल्शियम के अलावा फास्फोरस , विटामिन ‘D’ और लैक्टोज नामक शर्करा होती है जो शरीर में कैल्शियम के अवशोषण में सहायक होती है |

कैल्शियम के कार्य / Function of Calcium

जब माता के गर्भ में गर्भस्थ शिशु का विकास होने लगता है उसी समय से Calcium की आवश्यकता शुरू  हो जाती है | गर्भस्थ शिशु में अस्थियों के निर्माण के लिए प्रोटीन मैट्रिक्स बनना शुरू होता है  जो हलकी  और लचीली  हड्डियाँ होती है | लेकिन  बच्चे के जन्म से लेकर वर्द्धअवस्था तक इन हड्डियों में कैल्शियम जमा होते रहता  है और इसी कारण से हड्डियाँ मजबूत होने लगती है | Calcium के हमारे  शरीर में निम्न कार्य है |

1 . अस्थियों एवं दांतों की दृढ़ता और निर्माण के लिए

कैल्शियम दांतों और हड्डियों के निर्माण के लिए आवश्यक होता है | हड्डियों के द्वरा ही हमारे शरीर को एक ढांचा प्राप्त होता है | Calcium फास्फोरस और अन्य  खनिज लवणों के साथ मिलकर ही अस्थियों और   दांतों का निर्माण करते है | अस्थियों और दांतों की मजबूती  के लिए Calcium नितांत आवश्यक  होता है | हमारे शरीर में हड्डियाँ निरंतर संश्लेषित और विच्छेदित होती रहती है |  बच्चो  में हड्डी जुड़ने की क्रिया  तीव्र गति  से होती है  लेकिन अगर बुढ़ापे में  अगर हड्डी टूट  जाए तो यह देरी और बड़े मुश्किल से जुडती  है | जिसके शरीर में Calcium की कमी होती है  उसकी हड्डियाँ भी बहुत देर से जुड़ पाती है | अत: कैल्शियम का हमारे शरीर में उचित मात्रा में होना जरुरी होता है |

2 . शारीरिक वर्द्धि और विकास में आवश्यक

Calcium की कमी के कारण शरीर की वर्द्धि और विकास रुक जाता है | दर्:सल कैल्शियम का शारीरिक विकास और वर्द्धि में कोई प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं होता लेकिन एसा देखा गया है की भोजन में कैल्शियम की कमी के कारण प्रोटीन पर इसका असर पड़ता है | अर्थात अगर भोजन में Calcium की कमी है तो निश्चित ही अपने आप प्रोटीन की मात्रा भी कम हो जाती  है  | बैगर प्रोटीन के शरीर  का विकास और वर्द्धि  बाधित होती   है |

3 . रक्त जमने में करता है सहायता

जब शरीर के किसी भाग में चोट लगने या कट जाने के कारण उस स्थान पर रक्त बहने लगता है  5 – 7 मिनट में ही वहां रक्त का बहना रुक जाता है | क्योकि वहां रक्त का थक्का जम जाता है जिससे रक्त वाहिनियों की नली का मुंह बंद हो जाता है और रक्त बाहर नहीं निकल पाता | रक्त का थक्का बनने की प्रक्रिया दर:सल रक्त में उपस्थित बिम्बाणु ( Platelets ) और Blood Factor मिलकर थ्रोम्बोप्लास्तिन ( Thromboplastin ) नामक पदार्थ का निर्माण करते है  |  और ध्यान दे इस Thromboplastin के  बनने के लिए Calcium  उपस्थित होना जरुरी होता है | अगर शरीर में किसी   कारण से Calcium की मात्रा कम  है तो Thromboplastin बनने की क्रिया भी बाधित होती है और रक्त का थक्का जमने में भी देर  हो सकती है |

4 . मांसपेशियों के संकुचन पर नियंत्रण

Calcium मांसपेशियों के फैलने एवं सिकुड़ने  की क्रिया को नियंत्रित कर उन्हें क्रियाशील बनाये रखने में सहयोग देता है | जब कभी भी मांसपेशियों  में Calcium की मात्रा निर्धारित मात्रा से कम हो जाती है तो मांसपेशियों में  अकड़न ( Irritation  ) होना शुरू हो जाता है  | महिलाऐं इससे जल्दी ग्रषित होती है क्योकि  उनकी  विभिन्न शारीरिक क्रियाएँ जैसे – मासिक धर्म , गर्भवस्था , स्तनपान और मोनोपोज आदि के कारण कैल्शियम की कमी हो जाती है  और उन्हें समय – समय पर मांसपेशियों में अकड़न से गुजरना पड़ता है |

5 . हृदय की गति को सामान्य बनाये रखना

कैल्शियम हृदय की गति के संतुलन के लिए आवश्यक है | हृदय की मांसपेशियों के सामान्य संकुचन के लिए , उन्हें ढंके हुए तरल पदार्थ में उपयुक्त मात्रा में Calcium होना आवश्यक होता है | Calcium के अलावा हृदय के संकुचन में परोक्ष रूप से पोटेशियम और सोडियम भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है | लेकिन इन तीनो का उचित मात्रा में संयोजन जरुरी होता है अगर इनमे से Calcium की मात्रा अधिक हो जाये तो हृदय का संकुचन तो सही होगा लेकिन प्रशारण कम हो जाएगा | अगर मात्रा कम है तो हृदय का संकुचन ठीक ढंग से नहीं होगा |

6 . शरीर के कुछ एंजाइम को सक्रिय बनाता है कैल्शियम

हमारे शरीर  में उपस्थित कुछ एंजाइम की क्रियाशीलता को सक्रीय करने में Calcium का महत्वपूरण भाग होता है | जैसे शरीर की छोटी आंत अवशोषण का कार्य करती है लेकिन इसकी क्रियाशीलता को सक्रिय कैल्शियम ही करता है | जब हम भोजन करते है तो उसमे उपस्थित कार्बोज , वसा और प्रोटीन के पाचन के लिए शरीर कुछ एंजाइम अर्थात पाचक रस छोड़ता है वाही इनका पाचन करते है और इनकी क्रियाशीलता को Calcium ही सक्रिय करता है | अगर शरीर में Calcium की मात्रा कम या ज्यादा है तो इन्हें पचाने में शरीर को अधिक जतन करने होंगे | अत: उचित मात्रा में कैल्शियम होना आवश्यक है |

7 . नाड़ी केंद्र और नाड़ी तंतुओं की संवेदनशीलता की लिए

Calcium नाड़ियो की उद्दीपन की सामान्य प्रतिक्रियाओं के लिए आवश्यक होता है | जब शरीर में Calcium का विघटन होता है तो उस समय ” Acetylcholine” नामक पदार्थ का निर्माण होता है जो नर्व केंद्र और Nerve फाइबर के लिए संवेदनशीलता बनाने में मदद करता है |

कैल्शियम की कमी के कारण

Calcium की कमी होने के कोई बहुत बड़े कारण नहीं है | लेकिन अगर आप अपनी आहार व्यवस्था को देखेंगे तो जल्द ही पता चल जाएगा | भोजन में Calcium युक्त आहार को न शामिल करना इसका सबसे बड़ा कारण है | दूध , दही  , छाछ , पतेदार सब्जियां, दाल,सूखे मेवे और फल जैसे – संतरा , केला , आम , अंगूर  , सेब आदि का अल्प मात्रा या बिलकुल सेवन न करना इसके कमी के कारण  बनते है | इसके अलावा अधिक मीठे का सेवन करना , शारीरिक श्रम न करना , अधिक दिनों तक धुप में न जाना और कुपोषण आदि | महिलओं में Calcium की कमी के कई कारण है जैसे अधिक मासिक स्राव , अधिक स्तनपान करवाना , किसी हार्मोन की गड़बड़ी और  समय पूर्व प्रसव होना आदि एसे कारण है जिससे शरीर में Calcium की कमी हो जाती है |

कैल्शियम की कमी के प्रभाव / कैल्शियम की कमी से रोग

1 . बच्चो में इसकी कमी के प्रभाव

यदि  बच्चो को calcium युक्त भोज्य पदार्थ पर्याप्त मात्रा में खाने को नहीं दिए जाए तो उनके शरीर में calcium की कमी हो जाती है जिससे उनके शारीरिक विकास और वर्द्धि में रूकावट आती है | calcium कमी के कारण बच्चो में अस्थियों की वृद्धि रुक जाती है | जब बच्चो के शरीर में कैल्शियम की मात्रा गड़बड़ा जाती है तो उनके शरीर में calcium का विसर्जन होने बढ़ जाता है | अधिक विसर्जन के कारण बच्चो की हड्डियाँ कमजोर हो जाती है और फलस्वरूप उनके हाथ और पैर पतले रह जाते है | बच्चो में calcium की उचित मात्रा बने रहना आवश्यक होता है वरना बच्चो में दांत निकलना देरी से होता है  | इसकी कमी से बच्चो के सर की हड्डी – उभर जाती है उनकी छाती छोटी रह जाती जिसे “कबूतर की छाती रोग” कहते है |

2 . वयस्क में कैल्शियम की कमी के प्रभाव

वयस्कों में Calcium की कमी से Ostomalasia नामक रोग हो जाता है | यह रोग पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में अधिक होता है | इस रोग में शरीर अस्थियों से calcium लेने लगता है जिसे decalcification कहते है | अधिक मात्रा में अस्थियों से calcium के विसर्जन के कारण अस्थियाँ कमजोर हो जाती है | इस रोग में शरीर चोट सहन नहीं कर पाता अर्थात हल्की से चोट से भी हड्डिय टूट जाती है | इस रोग में हड्डियाँ जुडती भी देरी से है  |

3 . गर्भवती महिलाओं में कैल्शियम की कमी के प्रभाव

गर्भवती और स्तनपान करवाने वाली  महिलाओ के आहार में पर्याप्त मात्रा में calcium का होना आवश्यक है | यदि  गर्भवती माँ को पर्याप्त मात्रा में Calcium नहीं मिलपाता तो उसके गर्भ में पल रहा बच्चा माता के शारीर से ही calcium लेने लगता है जिससे महिला के शरीर में calcium की कमी हो जाती है | इस प्रकार की महिलओं में प्रसव भी सामान्य नहीं हो पाता , उनको “शल्य क्रिया”  द्वारा ही प्रसव करवाना पड़ता है |

4 . वर्द्धावस्था में कमी के प्रभाव

वर्द्धाव्स्था में calcium की कमी के कारण Osteoporosis नामक रोग हो जाता है | इस रोग में अधिक मात्रा में हड्डियों से calcium निकलने लगता है | जिसके कारण हड्डियाँ कमजोर हो जाती है | कमजोर हड्डियाँ जल्दी टूटने लगती है | वर्द्धावस्था में  अगर अस्थि टूट जाती है तो वह जल्दी से नहीं जुडती | बुढ़ापे में calcium  की कमी के कारण कूबड़ निकल जाता , कमर झुक जाती है और जोड़ो में दर्द रहने लगता है |

कैल्शियम युक्त सब्जियों और फलों की सूची

सब्जियों एवं फलों में भी प्रचुर मात्रा में कैल्शियम उपलब्ध रहता है | यहाँ हमने कैल्शियम से भरपूर सब्जी एवं फलों की सूचि उपलब्ध करवाई है | इस सारणी या सूचि से आप आसानी से इसके स्रोतों को जान सकते है –

क्रम संख्याफल या सब्जी का नामकैल्शियम की मात्रा
1.पनीरप्रत्येक 100 ग्राम में 1000 मिग्रा. कैल्शियम की उपलब्धता
2.चौलाई290 मिलीग्राम
3.मूली की पतियाँ310 मिलीग्राम
4.करी की पतियाँ810 मिलीग्राम
5.गाजर की पतियाँ310 मिलीग्राम
6.मेथी390 मिलीग्राम
7.पोदीना200 मिलीग्राम
8.सहजन की पतियाँ460 मिलीग्राम
9.हरे चने124 मिलीग्राम
10.सुखा नारियल400 मिलीग्राम
11.बादाम230 मिलीग्राम
12.टमाटर10 मिलीग्राम
13.सूखे अंजीर26 मिलीग्राम
14.रागी330 मिलीग्राम
15.ब्रोक्ली48. मि.ग्रा.
16.संतरा40 मि.ग्रा
17.गाय का दूध210 मि.ग्रा
18.चीज210 से 480 मि.ग्रा

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