ब्राह्मी / Brahmi : ब्राह्मी के स्वास्थ्य लाभ / फायदे

ब्राह्मी / Brahmi

परिचय – भारत में प्राय सजल भूमि में पाई जाने वाली एक भुसर्पी वनस्पति है जो सम्पूर्ण भारत में तराई वाली जगहों पर सदाबहार रूप में देखि जा सकती है | ब्राहमी प्राय प्रयाप्त जल वाली जगहों पर ही पाई जाती है| हिमालय के तराई क्षेत्रों में , U.P और बिहार के जलमग्न इलाको में आप इसे बारह महीनों हरी –  भरी देख सकते है | जलमग्न जगहों पर अधिक होने के कारण इसे जल निम्ब भी कहते है |

ब्राह्मी

(Brahmi)ब्राह्मी के पत्र, पुष्प एवं फल

इसका क्षुप बारह मास हरा रहता है , यह जमीन पर फैलने वाली वनस्पति है , जो मांसल और  चिकनी पतियों से अच्छादित रहती है |

इसका कांड बहुत कोमल होता है , जिस पर छोटे – छोटे रोम और गांठे होती है | कांड की इन गांठो से जड़े निकलती है जो बिलकुल पतली होती है एवं जमीन रूपी रहती है | इसकी पतियाँ गोल एवं  वृकाकृति में होती है जो 1 इंच से 2  इंच लम्बी एवं 10 mm चौड़ी होती है | ब्राहमी की पतियों पर सात सिरायें स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है | इसके पुष्प बसंत ऋतू में लगते है, जो आकार में छोटे एवं रंग में नीले , सफ़ेद और हलके गुलाबी हो सकते है | पुष्प इसके पत्रकोनो से निकलते है जिनमें आगे जाकर फल लगते है ये आगे से पतले और नुकीले होते है , इन्ही फलो के ग्रीष्म ऋतू में पकने पर  बीज मिलते है जो आकार में छोटे एवं चपटे होते है |

ब्राह्मी का रासायनिक संगठन

ब्राह्मी में हैद्रोकोटलीन, एशियाटिकोसाइड, वेलेरिन, फैटी एसिड और एस्कोर्विक एसिड प्रचुर मात्रा में पाए जाते है | इसलिए इसका सम्पूर्ण क्षुप औषध उपयोगी होता है |

पर्याय विभिन्न भाषाओँ में

संस्कृत – ब्राह्मी ( ब्रह्म की प्राप्ति में सहायक होने के कारण ), सुरमा, ब्रह्मचारिणी, सौम्यलता |

हिंदी – ब्राह्मी, कोट्याली, बिर्हमी, ब्रह्ममंदुकी, खुलखुड़ी  |

गुजरती – विधाब्राह्मी, बरमी |

मराठी – ब्राह्मी |

बंगाली – ब्रह्मिशाक , उधाबिनीं |

अंग्रेजी – Indian Penny Wort , Thickleaved Pennywort |

लेटिन – Hydrocotyle Ariatica |

ब्राह्मी के गुण एवं रोगप्रभाव / Brahmi ke gun or Rogprabhav

इसका रस तिक्त होता है , यह लघु गुण एवं शीत वीर्य की होती है | पचने पर यह मधुर विपाक देती है | आयुर्वेद में यह रसायन का काम करती है | यह कफपित्तशामक , मेध्य, उन्माद, अपस्मार आदि मानसिक व्याधियों में कारगर परिणाम देती है | शरीर के बुखार, खांसी, पीलिया, मधुमेह , रक्त अशुद्धि एवं सफ़ेद दाग जैसी  व्याधियों में उपयोगी होती है | ब्राह्मी मुख्य रूप से मानसिक विकारो में काफी फायदेमंद होती है , यह बुद्धि को जागृत करती है एवं मनुष्य को बुद्धिवान बनती है |

ब्राह्मी के स्वास्थ्य लाभ या फायदे / Brahmi Health Benifits in Hindi

एकाग्रता बढ़ाने में ब्राह्मी के फायदे / Brahmi

यह मानसिक विकारो में बेहतर औषधि है | जिन बच्चो का मन पढाई में नहीं लगता उनको ब्राह्मी का सेवन करना चाहिए | रोज रात को एक गिलास दूध में 5 ग्राम ब्राह्मी का चूर्ण मिलाकर बच्चो को पिलाने से उनकी स्मृति बढती है एवं बच्चे में एकाग्रता का विकास होता है |

मानसिक शक्ति को बढाने में ब्राह्मी के लाभ / Brahmi

इसमें एंटीओक्सिडेंट प्रचुर मात्रा में होते है | इसलिए नियमित इसका करने से मानसिक शक्ति का विकास होता है | जो लोग ज्यादा मानसिक श्रम करते है और वे अपनी मानसिक थकान को भगाना  चाहते है तो उन्हें भी इसका इस्तेमाल नियमित तौर पर टॉनिक के रूप में करना चाहिए | क्योकि मानसिक शक्ति को बढ़ाने की यह एक उत्तम औषधि है |

मिर्गी रोग

अपस्मार के रोगी को इसका चूर्ण 5 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ दिन में तीन समय देने से लाभ होता है | मिर्गी के रोगी को इसकी जड़ का रस निकाल कर भी प्रयोग में दे सकते है |

पागलपन में ब्राह्मी

पागलपन ( उन्माद ) के रोगी को ब्राह्मी के रस में कुठ का चूर्ण और शहद मिलाकर चटाने से पागलपन में लाभ होता है |
उन्माद के रोग में इसकी पतियों का रस , बालवच , कुठ और शंखपुष्पी को मिलाकर देशी गाय के घी के साथ देने से पागलपन दूर होता है | इसके अलावा इसके बीजो को कालीमिर्च के दानो के साथ पिस कर लेने से भी उन्माद के रोग में लाभ मिलता है |

उच्च रक्तचाप में ब्राह्मी के फायदे

हाई ब्लड प्रेस्सर के रोगी को इसकी  की पतियों का रस शहद के साथ मिलाकर चाटने से राहत मिलती है |

सुजन में ब्राह्मी 

सुजन या दर्द में इसकी पतियों पिस कर प्रभावित अंग पर मलने से सुजन उतर जाती है | गठिया या संधिवात से पीड़ित भी ब्राह्मी की पतियों का इस्तेमाल अपने प्रभावित अंग पर कर सकते है | इसकी पतियों में सुजन और दर्द को दूर करने के गुण विद्यमान होते है |

श्वास और कफज खांसी में ब्राह्मी

यह कफपित्त शामक गुणों से युक्त होती है | कफज रोगों में इसकी चाय बना कर पीना स्वास्थ्य के लिए लाभ दायक होता है | श्वास और खांसी में इसके रस के साथ कालीमिर्च और शहद मिलाकर सेवन करने से कफज व्याधियों में फायदा पंहुचता है

दांतों के दर्द में

दांतों में तेज दर्द की शिकायत पर ब्राह्मी के चूर्ण को एक कप गरम पानी में डालकर कुल्ला करने से दांतों के दर्द में तुरंत राहत मिलती है |

वीर्यशोधक 

ब्राह्मी , शंखपुष्पी , कालीमिर्च , ब्रह्दंड और खैरटी – इन सभी को बराबर की मात्रा में ले और पीसकर चूर्ण बनाले | इस चूर्ण का इस्तेमाल सुबह के समय 3 ग्राम की मात्रा में करने से वीर्य शुद्ध होता है एवं अन्य वीर्य सम्बन्धी रोगों में भी लाभ मिलता है |

मूत्रकृछ 

पेशाब करने में कष्ट होने पर ब्राह्मी के 2 चम्मच रस में एक चम्मच शहद मिलाकर सेवन करने से मूत्रकृछ में लाभ मिलता है |

बलवर्द्धक ब्राह्मी

ब्राह्मी एक बलवर्द्धक रसायन है | इसके सेवन से शरीर में स्फूर्ति का संचार होता है एवं किसी बीमारी वस शरीर में आई कमजोरी को भी दूर करती है |

इसका सेवन अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिय क्योकि अधिक मात्रा में इसका सेवन स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव भी डाल सकता है | आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में Brahmi पञ्चांग का इस्तेमाल किया जाता है | इसके चूर्ण की मात्रा 1 से 2 ग्राम तक ले सकते है एवं इसके स्वरस का सेवन 5 ml से 10 ml तक कर सकते है | लेकिन मात्रा निर्धारण से पहले अपने शरीर की प्रकृति और बल का ख्याल जरुर कर लेना चाहिए |

धन्यवाद 

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