आखिर क्यों पहनती है विवाहित महिलाये चाँदी की पायल जाने कारण और स्वास्थ्य लाभ ||

चूड़ी, पायल और बिछिया पहनने के पीछे है वैज्ञानिक कारण |

सम्पूर्ण भारत में विवाहित स्त्रियाँ विभिन्न धर्मो के अनुसार अपने सोलह श्रंगार करने में अलग -अलग परकार के आभूषणों को पहनती है | ये आभूषण और इनका पहनावा काफी दिलचस्प होता है इस पहनावे के पीछे कुछ धार्मिक कारण तथा पुरातन मान्यताये  होती  है जो परिवारिक ओर सामाजिक रूप से भारतीय परमपराओ को जोड़ने का काम करती है | लेकिन कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक कुछेक आभूषणों में समानता देखी जाती है  फिर चाहे वो स्त्रियाँ  किसी भी धर्म, समुदाय से सम्बन्ध रखती हो | इनमे से प्रमुख है चूड़ी, पायल और बिछिया इनको पहनने के पीछे जुड़े है अनेको स्वस्थ्य लाभ | तो आइये जानते है विस्तार से |
पायल पहनने के लाभ और फायदे

पायल पहनने के वैज्ञानिक स्वास्थ्य लाभ

  • पैर में पायल पहनने से महिलाओ के पेट और निचले हिस्से में होने वाले मोटापे को रोकती है |
  • चांदी की पायल पहनने से  महिलाओं की इच्छा शक्ति मजबूत होती है , वे बिना किसी रूकावट के पुरे दिन काम कर सकती है |
  • पायल में लगे घुंघरूओ से एक खनक पैदा होती ;है जो घर में उपस्थित नकारात्मक  उर्जा को दूर करती है , इसमें मुख्य काम खनक और चांदी का होता है इसीलिए चांदी की पायल पहनी जाती है |
  • पायल पहनने से महिलाओं के  शरीर से निकलने वाली उर्जा को संरक्षण मिलता है |
  • अध्यात्मिक मान्यताओ के अनुसार अगर किसी महिला का स्वास्थ्य ख़राब है और अगर उसने चांदी की पायल पहन ली तो उसके स्वास्थ्य में अपने आप सुधर होने लगता है |
  • चांदी की पायल शरीर में सकारात्मक उर्जा को बढाती है , इसलिए महिलाओ को चांदी से बनी पायल ही पहननी चाहिए |
बिछिया पहनने के वैज्ञानिक लाभ 
 
बिछिया पहनने के फायदे
 
  • भारतीय महिलाऐं अपने सोलह श्रंगार में पैरो की अंगुलियों में बिछिया पहनने को विशेष महत्व देती है , इसके पीछे भी पुरातन मान्यताएं वैज्ञानिक द्रष्टिकोण छिपा हुआ है |
  • परम्परागत मान्यताओं के अनुसार अगर देखा जाए तो जो महिलाऐं पैर की अंगुली में बिछिया पहनती है उनपर देवी सरस्वती और देवी लक्ष्मी की कृपा रहती है , जिससे वे अपने विवाहित जीवन में सुख और  स्मर्द्धि को प्राप्त करती है |
  • वैज्ञानिक द्रष्टिकोण के अनुसार देखा जाए तो पैर की अंगुली में बिछिया पहनना एक प्रकार की एक्यूप्रेसर थेरेपी है , वस्तुत: बिछिया पैर के बिच की अंगुलीयों में पहनी जाती है जिसका सीधा सम्पर्क गर्भाशय से होता है | यह गर्भाशय में रक्त संचार को बढ़ाती है तथा गर्भ धारण करने में सहायता करती है |
  • बीच की अंगुली में पहनने के कारण यह तंत्रिका तंत्र को मजबूती प्रदान करती है एवं  मांस पेशियों में होने वाले खिंचाव को कम करती है |
  • बिछिया भी चांदी की ही पहनी जाती है जो महिलाओं में नकरात्मक उर्जा को खत्म करती है एवं सकारात्मक उर्जा को बढाती है |
  • मछली के आकार की बिछिया का विशेष महत्व है इसी कारण से इसे सामान्य भाषा में मछी भी कहा जाता है |
पैरो में हमेशा चांदी से निर्मित आभूषण पहने जाते है |

चूड़ी पहनने के वैज्ञानिक लाभ

चूड़ी पहनने के फायदे
  • चूडिया कलाई के अनुसार पहनी जाती है अधिक बड़ी और छोटी नहीं पहननी चाहिए क्योकि ये कलाई में घर्षण करके रक्त संचार को बढाती है ओर उर्जा पैदा करती है जो थकान को जल्दी हावी नहीं होने देता है |
  • चूड़ी मानसिक संतुलन को बनाये रखने में सहायता करती है |
  • कलाई में चूड़ी पहनने से श्वास रोग, ह्रदय रोग की संभावना को कम करती है |
  • तिरछी, चटकी हुई और दरार पड़ी हुई चूड़ी नहीं पहननी चाहिए ये नकारात्मक उर्जा का संचार करती है |
  • लाल  तथा हरे रंग की लाख की चूड़ी सबसे सबसे असरदार होती है |
धन्यवाद |

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