त्रिदोष प्रकृति – एक परिचय

त्रिदोष प्रकृति 

शारीरिक प्रकृति में सबसे उतम प्रकृति त्रिदोष प्रकृति को माना गया है | अगर किसी मनुष्य की प्रकृति त्रिदोष है तो वह उतम प्रकृति का होगा | त्रिदोष जैसा कि नाम में ही इसका अर्थ छुपा है | वात – पित – कफ
ये तीनो दोष मिल कर जिस प्रकृति का निर्माण करते है वह त्रिदोष प्रकृति से जानी जाती है | अर्थात अगर किसी व्यक्ति के तीनों प्रकृतियों से कोई एक – एक या दो – दो गुण मिलते है तो निश्चित ही वह त्रिदोष प्रकृति का मनुष्य होगा |
 
त्रिदोष प्रकृति को सन्निपातज प्रकृति भी कहते है |
त्रिदोषज प्रकृति  मनुष्य में तीनों दोष अर्थात वात, पित्त एवं कफ का संतुलित होना दर्शाती है | आयुर्वेद के अनुसार इस प्रकृति को सबसे उत्तम प्रकृति माना जाता है | द्विदोषज या एकल प्रकृति किसी एक दोष को प्रधान रख कर निर्मित होती है |
आयुर्वेद चिकित्सा में इन्ही प्रकृतियों के अनुसार रोगों की चिकित्सा के लिए औषध का निर्धारण किया जाता है |
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